जांच प्रभावित करने को तो नहीं किया जा रहा सीबीआई अफसर का तबादला ? 

राघवेन्द्र प्रताप सिंह, लखनऊ। उप्र लोक सेवा आयोग में पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार में हुई मनमानी और भ्रष्टाचार की जांच जब सूबे में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी तब विभिन्न प्रतियोगी छात्रों ने मुक्त कंठ से सरकार की प्रशंसा की। लेकिन अब जब कि सीबीआई जांच के बाद विभिन्न परिक्षाओं में हुई धांधली और भ्रष्टाचार को लगभग खुलासा करने की स्थिति में पहुंच चुकी है, ऐसे में जांच टीम के मुखिया को हटाकर उन्हें उनके मूल कैडर में भेजने का षडयंत्र किया जा रहा है।

प्रतियोगी छात्रों का आरोप है कि भ्रष्टाचार और धांधली करने वाले रसूखदारों ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भी अपने आभामण्डल से प्रभावित कर लिया है ताकि उन पर आंच न आये और प्रकरण किसी तरह रफा-दफा हो जाये।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उप्र लोक सेवा आयोग द्वारा पूर्ववर्ती सरकार में विभिन्न प्रतियोगी परिक्षाओं में जमकर मनमानी की गयी थी और प्रतियोगी छात्रों से धन उगाही कर तथा जातिगत आधार पर न सिर्फ परीक्षा परिणाम जारी किया बल्कि ऐसे अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण दर्षा उन्हें तैनाती तक दिला दी गयी। ऐसे में ईमानदारी से अपना भविष्य तलाश रहे प्रतियोगी छात्रों का आक्रोषित होना स्वाभाविक था। सो, छात्रों ने कई तरह से विरोध प्रदर्षन कर अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का प्रयास भी किया। यह बात अलग है कि पूर्ववर्ती सरकार के कान में जूं नहीं रेंगी लेकिन योगी सरकार ने प्रतियोगी छात्रों को बड़ी राहत देते हुए पूरे ‘घालमेल’ की सीबीआई जांच का आदेष दिया। सूत्र बताते हैं प्रकरण की जांच सीबीआई द्वारा अपने हाथों में लेने के बाद प्रतियोगी छात्रों को न्याय की उम्मीद जागी थी। सीबीआई की ओर से जांच का जिम्मा सिक्किम कैडर के 2005 बैच के अधिकारी राजीव रंजन को सौंपा गया। श्री रंजन ने अपना काम पूरी निष्ठा से शुरु किया। सूत्र बताते हैं कि श्री रंजन ने जांच को अंजाम तक लगभग पहुंचा दिया है और उनकी जांच रिपोर्ट आते ही आयोग के कई ‘बड़ों’ का ‘सरकारी दामाद’ बनना लगभग तय है।

लेकिन सूत्र बताते हैं कि इसी बीच सीबीआई के मुख्य विवेचक-सीबीआई के एसपी राजीव रंजन को केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भ्रमित कर उन्हें वापस उनके मूल कैडर भेजे जाने का षडयंत्र रचा गया। जबकि वे अभी जांच के अन्तिम मुकाम तक नहीं पहुंचे हैं। यदि इस बीच उन्हें लोक सेवा आयोग की जांच से हटा दिया जाता है तो प्रतियोगी छात्रों की उम्मीदों पर पानी फिर जाना तय है। इतना ही नहीं माना जा रहा है कि वे लोग भी अपनी ‘गर्दन’ बचा लेंगे जिन्होंने आयोग में रहते हुए खुलकर धांधली की है।

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