
जयपुर। राजस्थान में पिछले 3 दिनों से हो रही बारिश के बाद कई जिलों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। इसको लेकर सीएम अशोक गहलोत ने प्रशासन को राहत एवं बचाव कार्यों के संबंध में निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सेना से भी संपर्क किया गया है और जरूरत पड़ने पर सेना की मदद ली जाएगी।
प्रदेश में लगातार पिछले 3 दिन से हो रही बारिश के बाद हाड़ौती संभाग में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। क्षेत्र में भारी बारिश के बीच एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ सिविल डिफेंस लगातार राहत और बचाव कार्य में लगी हुई है, लेकिन अगर स्थिति बिगड़ती है तो गहलोत सरकार अब जल्द ही सेना से मदद ले सकती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके संकेत दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है।
मुख्यमंत्री ने लिखा कि कोटा, बारां, बूंदी एवं झालावाड़ के कुछ इलाकों में भारी बारिश से बाढ़ के हालात बन गए हैं। प्रशासन को राहत एवं बचाव कार्यों के संबंध में निर्देश दिए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ एवं सिविल डिफेंस की टीमें मदद कार्य कर रही हैं। सेना से भी संपर्क किया गया है और जरूरत पड़ने पर सेना की मदद ली जाएगी। उन्होंने लिखा कि धौलपुर में भी चंबल नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। भरतपुर में अधिक बारिश के कारण के कुछ इलाकों में भी बाढ़ के हालात बन सकते हैं। भरतपुर एवं धौलपुर में भी प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है। आमजन से अपील है कि सावधानी बरतें एवं परेशानी होने पर तुरंत प्रशासन को सूचित करें।
गौरतलब है कि राजस्थान के कई इलाकों में पिछले 3 दिन से बारिश का दौर लगातार जारी है। जिसकी वजह से प्रदेश के करीब आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। खासतौर से हाड़ौती संभाग के चारों जिले जिनमें कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ शामिल है। इन जिलों के करीब 200 से ज्यादा गांवों में पानी का भराव हो गया है, वहीं, राजस्थान के कई जिलों से होकर गुजर रही चंबल नदी में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
हाड़ौती क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से जिले की चंबल नदी का जलस्तर पुराने पुल के ऊपर निकल चुका है। चंबल नदी में तेजी से पानी का आवक हो रही है, जिसको लेकर जिला प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी किया है। चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान 130.79 मीटर से बढ़कर 143.30 मीटर पर पहुंच गया है। 1996 के बाद चंबल नदी में इतनी अधिक पानी की आवक हुई है। सरमथुरा, बाड़ी, धौलपुर और राजाखेड़ा उपखंड इलाके के 4 दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं, जिसे लेकर जिला प्रशासन ने संबंधित हल्का पटवारी, गिरदावर और ग्राम पंचायत सरपंचों को विशेष निगरानी रखने के दिशा निर्देश दिए हैं।
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