आंध्र प्रदेश के तिरुमाला तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसाद में चर्बी मिले होने पर हंगामा मचा हुआ है. ऐसे में आइए जानते हैं कि लड्डू प्रसादम का इतिहास क्या है और ये कैसे बनाता है.
आंध्र प्रदेश स्थित ‘तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम’ करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है. इस मंदिर को दुनिया का सबसे धनवान हिंदू मंदिर बताया जाता है. हर एक हिंदू अपने जीवन काल में एक बार तिरुपति मंदिर आकर भगवान वेंकटेश्वर स्वामी का दर्शन करने की इच्छा जरूर रखता है, इसलिए रोजाना इस मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ता है. तिरुपति मंदिर से मिलने वाला लड्डू का प्रसाद भी मंदिर की तरह ही दिव्य और पुण्य माना जाता है, लेकिन इसमें चर्बी मिले होने की पुष्टि होने से हंगामा मच गया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि लड्डू प्रसादम का क्या है इतिहास (Tirupati Laddu History) और इसके बनाए जाने की विधि कितनी खास है.
तिरुपति लड्डू का प्रसाद लेने के लिए दुनिया भर से भगवान वेंकटेश्वर के भक्त यहां पहुंचते हैं. कहते हैं मंदिर में लोगों की जितनी आस्था है. इस लड्डू को लेकर भी भक्त उतने ही आस्थावान हैं, लेकिन लड्डू का यही प्रसाद अब अचानक से एक बहुत बड़े विवाद का हिस्सा बन गया है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि तिरुपति के लड्डू (Tirupati Laddu News) में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है, लेकिन ऐसा क्यों है हम इसके बारे बताएंगे लेकिन पहले जान लीजिए कि तिरुपति मंदिर की महत्ता कितनी बड़ी है.
तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में तिरुमला पहाड़ी पर स्थित है. भगवान वेंकटेश्वर भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक रोजाना यहां 50 हजार से 1 लाख तक श्रद्धालु आते हैं और कई विशेष मौकों पर 4 लाख तक भक्त आ जाते हैं. तिरुपति बाला जी में न सिर्फ श्रद्धा अपने विराट स्वरूप में नजर आती है बल्कि ये मंदिर (Tirupati Tirumala Temple) खुद दौलत का देवता है. तिरुपति मंदिर को भक्तों का इतना चढ़ावा मिलता है कि इसे सबसे अमीर हिंदू मंदिर का दर्जा मिल चुका है.
2023 में मंदिर में चढ़ा था 1031Kg सोना
जाहिर है इस मंदिर की जितनी ख्याति और प्रतिष्ठा है. उसे लेकर किसी भी किस्म का विवाद भक्तों को परेशान भी कर देता है. यही वजह है कि लड्डू प्रसादम पर विवाद की छाया पड़ते ही सियासत गरमा गई है. पहले आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया कि तिरुपति के लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाई जा रही है. अब उनकी पार्टी के नेता अनम वेंकट ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि लड्डू प्रसाद (Tirupati Balaji Prasad News) में गोमांस से मिलने वाली चर्बी मिलाई जाती है. अनम रेड्डी का दावा कि नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने लड्डू प्रसादम में गाय की चर्बी मिलाए जाने की पुष्टि कर दी है.
तिरुपति मंदिर में लड्डू प्रसादम पिछले 300 साल बनाया जा रहा है. कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि लड्डू प्रसादम का पहला प्रमाण 1715 में सामने आया था. मंदिर में रोजाना 8 लाख से ज्यादा लड्डू बनाए जाते हैं. साल 2009 में इस लड्डू प्रसादम को GI टैग भी मिला चुका है. तिरुपति लड्डू को बनाने में सामग्री से लेकर निर्माण की विधि तक शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है. यही वजह है कि जानवर की चर्बी की मिलावट की खबर सामने आते ही विवाद गहरा हो गया है.
लड्डू प्रसादम को बनाने की विधि (Tirumala Prasadam Recipe)
तिरुपति लड्डू बनाने में जिस विधि का इस्तेमाल किया जाता है, उसे दित्तम कहते हैं. इसके आधार पर ही सामग्री का अनुपात तय किया जाता है. लड्डू के सामग्री में बेसन और घी के अलावा चीनी, मिश्री, किशमिश, काजू, इलायची का उपयोग किया जाता है. रोजाना के लड्डू प्रसादम के लिए 10 टन बेसन, 10 टन चीनी, 400 लीटर घी, 700 किलो काजू, 540 किलोग्राम किशमिश, 150 किलो इलायची और 500 किलोग्राम मिश्री मिलाया जाता है. इसलिए जब इतनी शुद्धता और पवित्रता से लड्डू का महाप्रसाद बनाया जाता है और इसे भोग स्वरूप भगवान वेंकटेश्वर को भी चढ़ाया जाता है. तब जानवर की चर्बी मिलाए जाने के सनसनीखेज खुलासे ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.
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