यह अध्ययन सिडनी विश्वविद्यालय द्वारा किया गया और सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार, इसमें 1985 से 2019 के बीच 628 जीवों, पौधों और फंगस की आनुवंशिक विविधता का विश्लेषण किया गया। इस शोध में चीन, ब्रिटेन, ग्रीस, स्पेन, स्वीडन और पोलैंड के वैज्ञानिक भी शामिल थे।
शोधकर्ताओं ने पाया कि दो-तिहाई प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता कम हो रही है। आनुवंशिक विविधता पर्यावरण में बदलाव के अनुसार जीवों के अनुकूलन के लिए बहुत ज़रूरी होती है। यदि विविधता बनी रहे तो जीव बदलते हालात में आसानी से खुद को ढाल सकते हैं।
कैथरीन ग्रुएबर, सिडनी विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ लाइफ एंड एनवायर्नमेंटल साइंसेज से शोध की प्रमुख लेखिका का कहना है कि संरक्षण के प्रयासों से कुछ हद तक आनुवंशिक विविधता को बनाए रखा गया है और कुछ मामलों में इसमें बढ़ोतरी भी हुई है। इसलिए उम्मीदों के कारण भी मौजूद हैं।
उन्होंने कहा, पूरी दुनिया में जैव विविधता तेजी से घट रही है, लेकिन कुछ उम्मीदें भी बाकी हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रयास इन नुकसानों को रोक रहे हैं और जैव विविधता को बनाए रखने में मदद कर रहे हैं।
शोध में पाया गया कि पक्षियों और स्तनधारियों में आनुवंशिक विविधता का नुकसान सबसे अधिक हुआ है। इसके मुख्य कारण भूमि उपयोग में बदलाव, बीमारियां, प्राकृतिक आपदाएं (जैसे जंगल की आग, बाढ़, नदियों में बदलाव और जलवायु परिवर्तन) और मानवीय गतिविधियां जैसे अंधाधुंध शिकार और आवास नष्ट करना हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार, आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जैसे: कीट या जंगली प्रजातियों को नियंत्रित करना, कुछ जीवों की संख्या सीमित करना ताकि बाकी जीवों के लिए बेहतर परिस्थितियां बनाई जा सके और नई प्रजातियों को शामिल करना ताकि प्रजनन में विविधता बनी रहे।
इस अध्ययन के लेखक उम्मीद करते हैं कि उनकी खोज से जैव विविधता को बचाने के प्रयास और तेज किए जाएंगे।
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