शाश्वत तिवारी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर कठोर कदम उठाते हुए हुए सिंधु जल संधि को स्थगित करने और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द सहित कई बड़े निर्णय लिए।
सीसीएस की बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सरकार के फैसलों की जानकारी साझा करते हुए बताया कि 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया गया है। इसके अलावा एकीकृत चेक पोस्ट अटारी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा। जो लोग वैध तरीके के साथ सीमा पार कर चुके हैं, वे 1 मई 2025 से पहले इस मार्ग से वापस आ सकते हैं।
उन्होंने कहा पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पाकिस्तानी नागरिकों को अतीत में जारी किए गए किसी भी एसपीईएस वीजा को रद्द माना जाएगा। एसपीईएस वीजा के तहत वर्तमान में भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे हैं।
मिस्री ने कहा नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया जाता है। उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है। भारत इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाएगा। संबंधित उच्चायोगों में ये पद निरस्त माने जाएंगे।
विदेश सचिव ने कहा कि इस हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का माकूल जवाब देते हुए यह कदम उठाए हैं। सिंधु जल संधि को स्थगित करने से पाकिस्तान पर सबसे अधिक असर पड़ेगा। विशेषज्ञों की मानें तो भारत से पाकिस्तान में जाने वाली सिंधु नदी का पानी अगर भारत बांध बनाकर या रूट डायवर्ट करके अपने देश में ही खपा लेता है तो पाकिस्तान में लोगों को खाने के लाले पड़ जाएंगे और बड़ी संख्या में लोग बूंद-बूंद को तरस जाएंगे।
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