स्टार्टअप जॉब मार्केट में एक नया आत्मविश्वास, भर्ती को लेकर सालाना आधार पर 32 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल

बेंगलुरु। भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में भर्ती को लेकर सालाना आधार पर 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह सस्टेनेबल और इनोवेशन आधारित स्केलिंग की ओर एक रणनीतिक मोड़ का संकेत है। सोमवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

जॉब्स प्लेटफॉर्म फाउंड-इट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का व्हाइट-कॉलर जॉब मार्केट मजबूत बना हुआ है, जिसमें सालाना आधार पर 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

स्टार्टअप जॉब पोस्टिंग में इस साल अप्रैल में सालाना आधार पर 32 प्रतिशत और पिछले तीन महीनों में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

पिछले एक साल में नए स्टार्टअप रजिस्ट्रेशन में 22 प्रतिशत की वृद्धि से भर्ती की यह गति और अधिक मजबूत हुई है।

फाउंड-इट के सीईओ वी. सुरेश ने कहा, भारत में स्टार्टअप के विस्तार के तरीके में एक बड़ा बदलाव आया है। विकास अब केवल प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। इसके बजाय, हम टियर-2 शहरों में भी मजबूत विस्तार देख रहे हैं, जो विकास के अधिक संतुलित और समावेशी मॉडल का संकेत देता है। साथ ही, अनुभवी पेशेवरों की भर्ती पर जोर बढ़ रहा है, जो दीर्घकालिक स्थिरता पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करने को दर्शाता है।

स्टार्टअप हायरिंग में आईटी सर्विस सबसे आगे है, जो सभी स्टार्टअप जॉब पोस्टिंग का 32 प्रतिशत है, जो कि पिछले साल 2024 में 23 प्रतिशत था। हेल्थकेयर में स्टार्टअप हायरिंग 6 प्रतिशत से बढ़कर 9 प्रतिशत हो गया है, जो डीप टेक और स्वास्थ्य-केंद्रित समाधानों पर बढ़ते फोकस का संकेत देता है।

इसके विपरीत, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट और एजुकेशन/ई-लर्निंग जैसे सेक्टर में स्टार्टअप हायरिंग को लेकर गिरावट दर्ज की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, टियर-2 शहर तेजी से प्रमुख स्टार्टअप हब के रूप में उभर रहे हैं, जहां अप्रैल 2024 में उनकी नौकरी की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2025 में 31 प्रतिशत हो गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह तीन गुना वृद्धि भारत के स्टार्टअप सेक्टर में एक बड़े बदलाव का संकेत देती है, जिसे कोयंबटूर, जयपुर, इंदौर, लखनऊ और भुवनेश्वर लीड कर रहे हैं।

इस बीच, बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में स्टार्टअप जॉब शेयर में भारी गिरावट दर्ज की गई, जबकि चेन्नई और हैदराबाद में स्थिति स्थिर रही।

स्टार्टअप भी तेजी से एक्सपीरियंस को प्राथमिकता दे रहे हैं। 0 से 3 वर्ष के अनुभव वाली फ्रेशर हायरिंग अप्रैल 2025 में 53 प्रतिशत से घटकर 41 प्रतिशत रह गई है।

यह बदलाव सभी स्तरों पर विशेष कौशल की बढ़ती मांग को दर्शाता है, जिसमें मिड-करियर प्रोफेशनल, 4-6 साल और 7-10 साल के अनुभव वाली की भूमिकाएं क्रमशः 28 प्रतिशत और 15 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।

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