मार्च 2026 छत्तीसगढ़ और बस्तर के झीरम नरसंहार के पीड़ित परिवाराें के लिए न्याय का वर्ष साबित होगी

जगदलपुर : छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दरभा जनपद पंचायत क्षेत्र के झीरम घाटी में 12 वर्ष पहले 25 मई 2013 को नक्सलियों ने देश के सबसे बड़े राजनैतिक नरसंहार को अंजाम दिया था। अब नक्सलियों के खात्मे का दौर जारी है। केंद्र सरकार ने इन नक्सलियों के खात्मे की समय सीमा मार्च 2026 तय कर चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के अपने गत 18 अप्रैल 2025 के दौरे के दौरान केंद्र सरकार के संकल्प को व्यक्त करते हुए कहाथा कि नक्सलवाद को 31 मार्च 2026 तक समाप्त कर दिया जाएगा, जिससे नक्सलियों को खत्म करने के दावे की पुष्टि होती है।

रविवार को झीरम कांड की 12वीं बरसी मनाई गई और जब अगले वर्ष 2026 में 25 मई काे 13वीं बरसी आएगी, इससे पूर्व मार्च 2026 झीरम हत्याकांड के पीड़ित परिवाराें के लिए न्याय का वर्ष हाेगा, तब तक पूरे देश सहित बस्तर संभाग से नक्सलवाद का खात्मा हो चुका हाेगा। यह एक दावा है, लेकिन इस दावे को बल इसलिए मिल रहा है, क्योंकि छत्तीसगढ़ समेत तेलंगाना, महाराष्ट्र और ओडिशा में नक्सलियों के खात्मे का काम तेजी से चल रहा है। क्योंकि केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद के समाप्त करने का संकल्प कर रखा है।

प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कह चुके हैं8 कि छत्तीसगढ़ के लिए नासूर बन चुके नक्सलवाद को समाप्त करने का बीड़ा केंद्र सरकार ने उठाया है और उसकी कमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संभाल रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री नक्सलियों से नक्सलवाद का रास्ता छोड़डकर मुख्य धारा में शामिल होने की अपील भी कर चुके हैं। वे भी अपील कर रहे हैं कि नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ें।

झीरम घाटी नरसंहार के मुख्य साजिशकर्ता नक्सली संगठन के महासचिव और शीर्ष नक्सली लीडर नम्बाला केशव राव उर्फ बसव राजू को अबूझमाड़ के जंगलों में पांच दिन पहले ही ढेर किया जा चुका है। झीरम नरसंहार में शामिल रहे कई नक्सली अब तक मारे जा चुके हैं, जो बचे हैं उनका भी खात्मा तय समय सीमा मार्च 2026 तक हाेना निश्चित माना जा रहा है।

नम्बाला केशव राव उर्फ बसव राजू के नेतृत्व में हुआ झीरम घाटी नरसंहार-नम्बाला केशव राव उर्फ बसव राजू वही था, जिसने इस सबसे बड़े राजनैतिक नरसंहार की पूरी याेजना बनाई थी। नम्बाला केशव राव उस वक्त नक्सलियों की सैन्य इकाई का प्रमुख था। उसके नेतृत्व में ही नक्सलियों ने बस्तर जिले की झीरम घाटी को घेरा था और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष नेताओं सहित 30 से ज्यादा लोगों को बेहरहमी से मार डाला था। पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, वरिष्ठ कांग्रेसी महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार जैसे बड़े नेता इस हमले में मारे गए थे। इतना बड़ा राजनैतिक नरसंहार इस देश में इससे पहले कभी भी नहीं हुआ था।

जांच नहीं अब प्रहार से न्याय देने का काम चल रहा-झीरम घाटी हत्याकांड की जांच से भले ही कुछ खास नहीं हुआ, पर अब पिछले डेढ़ वर्ष से छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ जो चल रहा है, उससे पीड़ित परिवार बेहद खुश हैं। झीरम घाटी को जिन लोगों ने सबसे करीब से देखा वह भी केंद्र और राज्य सरकार की कार्रवाई की सराहना कर रहे हैं । उनका कहना है न्याय तो आखिर न्याय होता है, अब वह चाहे जैसे भी मिले। झीरम घाटी हत्याकांड में शामिल रहे कई नक्सली अब तक मारे जा चुके हैं । जो बचे हैं उन्हें मार्च 2026 तक खत्म करने का दावा सरकार लगातार कर रही है।

झीरम हत्याकांड में एनआईए न्यायालय की सुनवाई अंतिम दौर में पंहुची : दिनेश पानीग्राहीनक्सलियों द्वारा किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं-कार्यकर्ताओं पर किए गए सबसे बड़े झीरम हत्याकांड के मामले में एनआईए न्यायालय में जो सुनवाई चल रही थी वह अब अपने अंतिम दौर में है। इस मामले में जिन गवाहों के बयान होने थे, लगभग पूरे हो चुके हैं। एनआईए के अधिवक्ता दिनेश पानीग्राही ने बताया कि अब जल्दी ही मामले में फैसला आ जाएगा। अभी गवाही जारी है, जो अंतिम चरणों में है। इसके बाद दोनों पक्षों के वकील अपना पक्ष एनआईए के न्यायाधीश के समक्ष रखेंगे, इसके पश्चात न्यायाधीश मामले में फैसला सुनाएंगे। ऐसे में अब फैसले में ज्यादा समय नहीं बचा है। उन्हाेंने बताया कि अभी तक झीरम हमले के बाद स्थानीय पुलिस, जांच आयोग और एनआईए तक को मामले की जांच की जिम्मेदारी दी गई थी।

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