पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट भारत में ही बनने का रास्ता साफ, सरकार की मंजूरी

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के मकसद से भारत में बनने वाले पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए इस स्टील्थ, मल्टीरोल, एयर सुपीरियॉरिटी फाइटर में छठी पीढ़ी की आधुनिक प्रौद्योगिकियां भी शामिल होंगी। यह वायु सेना में स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस, सुखोई-30 एमकेआई, राफेल और नौसेना के एचएएल नेवल तेजस और मिग-29 की जगह लेगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मजबूत घरेलू एयरोस्पेस औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की दिशा में उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) कार्यक्रम निष्पादन मॉडल को मंजूरी दे दी है। अब एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) निजी उद्योग की साझेदारी में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। एडीए जल्द ही एएमसीए विकास चरण के लिए रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) जारी करेगा। एएमसीए प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय कंपनियां बोली लगाकर इस कार्यक्रम में शामिल हो सकती हैं। स्वदेशी विशेषज्ञता, क्षमता और सामर्थ्य का उपयोग करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है, जो एयरोस्पेस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रमुख मील का पत्थर साबित होगा।

​भारत में बनने वाले पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) का मॉडल इसी साल बेंगलुरु में एयरो इंडिया के इंडिया पवेलियन में प्रदर्शित किया गया था। पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ, मल्टीरोल, एयर सुपीरियॉरिटी फाइटर में छठी पीढ़ी की आला प्रौद्योगिकियां भी शामिल होंगी। विमान के डिजाइन वैमानिकी विकास एजेंसी (एडीए) ने तैयार की है, जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत गठित विमानन डिजाइन और विकास एजेंसी है। डीआरडीओ, एचएएल और एक भारतीय निजी कंपनी के बीच एक सार्वजनिक-निजी संयुक्त उद्यम में इसके निर्मित होने की उम्मीद है।

डीआरडीओ के मुताबिक एएमसीए सिंगल-सीट और ट्विन-इंजन वाला विमान होगा। एएमसीए का मार्क-1 संस्करण 5.5 पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों से लैस होगा और मार्क-2 में छठी पीढ़ी का प्रौद्योगिकी उन्नयन होगा। एएमसीए का उद्देश्य ग्राउंड-स्ट्राइक, शत्रु वायु रक्षा दमन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सहित कई मिशनों को पूरा करना है। एएमसीए के बुनियादी डिजाइन विन्यास को अंतिम रूप देकर 2015 में विस्तृत रिपोर्ट वायु सेना को सौंपी गई, जिसने समीक्षा के बाद इस कार्यक्रम को सहमति दी थी। काफी सुधारों के बाद एएमसीए डिजाइन को 2016 में भारतीय वायु सेना ने स्वीकार किया था।

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