जोड़ सको ग़र पेट को निवालों से
जोड़ सको ग़र खेत को अनाजों से
जोड़ सको ग़र रेत को मैदानों से
अपनें कर्म से या कोई संयोग से
तब समझना जोड़ लिया ख़ुद को तूने
इस जहां से उस जहां तक योग से ,
ग़र पाट दिया सबके दिल के नफरत को
और बाट दिया हर हृदय मुहब्बत को
साथ कर दिया जो गली, गाँव, कस्बे को
मिटा कर मन के भेवभाव हर क्षोभ से
तब समझना जोड़ लिया ख़ुद को तूने
इस जहां से उस जहां तक योग से ,
योग बस युग्म नहीं है तन और मन का
योग बस युग्म नहीं फन और जन का
योग कोई युग्म नहीं धन और रण का
दूर कर लिया जो इन संसारी वियोग से
तब समझना जोड़ लिया ख़ुद को तूने
इस जहां से उस जहां तक योग से ।।
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