नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेेएनयू) में आयोजित तीन दिवसीय भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) शैक्षणिक सम्मेलन में शामिल हुए केंद्रीय बंदरगाह, शिपिंग और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने भारतीय ज्ञान प्रणालियों को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो हजारों वर्षों की परंपरा और आधुनिक प्रौद्योगिकी के मेल को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि 10 से 12 जुलाई तक चलने वाला यह सम्मेलन भारतीय विरासत को नई दिशा देने का अवसर है। इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी शामिल हुए।
सोनोवाल ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणालियां, जिसमें गणित, खगोल विज्ञान, आयुर्वेद और दर्शन जैसे क्षेत्र शामिल हैं, को आधुनिक शिक्षा और उद्योग में एकीकृत करने से वैश्विक चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन और स्थिरता, का समाधान संभव है। उन्होंने यूरोपीय सांस्कृतिक मानदंडों के वर्चस्व को चुनौती देते हुए भारतीय दृष्टिकोण को वैज्ञानिक समुदाय में एक वैकल्पिक ढांचे के रूप में पेश करने की बात की। मंत्री ने हिमालयी देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने की बात कही, जो इस पहल को क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर मजबूत करेगा।
उन्होंने जेएनयू को इस मंच को वैश्विक शैक्षणिक नेटवर्क में बदलने की दिशा में काम करने का आह्वान किया। सोनोवाल ने कहा कि प्राचीन ग्रंथों में निहित ज्ञान को डिजिटल युग में लाकर नई पीढ़ी तक पहुंचाना समय की मांग है।
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