लाहौर से कराची जाने वाले यात्री को विमान से भेज दिया गया जेद्दा !

कराची : पाकिस्तान के हवाई यात्रा के इतिहास में ग्राउंड स्टाफ की गंभीर गलती का खामियाजा एक यात्री को भुगतना पड़ा। लाहौर से कराची जाने वाले इस यात्री को एयरसियाल की उड़ान से जेद्दा भेज दिया। इस विमान यात्री को इस वजह से लगभग 15 घंटे तक परेशान होना पड़ा।

पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार कोरंगी निवासी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर मलिक शाहजैन सात जुलाई की रात बच्चे की तबियत खराब होने की सूचना मिलने पर कराची जाने के लिए लाहौर हवाई अड्डा पहुंचे। शाहजैन का कहना है कि वह रात करीब नौ बजे कराची जाने वाली उड़ान के लिए बोर्डिंग पास लेकर एयरलाइन स्टाफ के पास पहुंचे। टर्मिनल पर एयरसियाल के दो विमान खड़े थे। इनमें एक को कराची और दूसरे को जेद्दा जाना था। दोनों को रात 10 बजे उड़ान भरनी थी। उन्होंने कहा कि मैंने अपना बोर्डिंग पास एयरलाइन स्टाफ सौंप दिया। इसके बाद मुझे अंतरराष्ट्रीय प्रस्थान द्वार की ओर निर्देशित किया गया। मुझे बिना बताए खिड़की वाली सीट 17 एफ पर बैठा दिया गया। उड़ान के दो घंटे बाद मैंने फ्लाइट अटेंडेंट से पूछा कि विमान कराची कब पहुंचेगा। अटेंडेंट से यह जानकर आश्चर्य हुआ कि विमान जेद्दा के रास्ते में है।

शाहजैन के अनुसार गलती का अहसास होने पर चालक दल में अफरा-तफरी मच गई। उन्होंने कैप्टन को स्थिति की जानकारी दी। सऊदी अरब पहुंचने पर एयरलाइन कर्मचारियों ने मामले को संभालने की कोशिश की, लेकिन वह विफल रहे। सऊदी सीमा शुल्क और सुरक्षा अधिकारी उन्हें पूछताछ के लिए अपने साथ ले गए। उन्होंने कहा कि मुझे विमान से लगभग 800 मीटर दूर ले जाया गया। कई बार पूछताछ की गई और मेरी पानी की बोतल की भी जांच की गई। पूछताछ के दौरान सऊदी सुरक्षा दल के एक बंगाली भाषी सदस्य ने अनुवादक की भूमिका निभाई। मैंने अपने दस्तावेज प्रस्तुत किए। इस दौरान एयरलाइन के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि यह घटना एयरलाइन की लापरवाही के कारण हुई। तब उन्हें लाहौर की वापसी उड़ान में बिठाया गया।

शाहजैन ने कहा कि समस्या यहीं खत्म नहीं हुई। लाहौर पहुंचने पर उन्हें कराची के लिए दूसरा टिकट खरीदने को कहा गया। उनके पास केवल 15 हजार रुपये थे और टिकट की कीमत 23 हजार रुपये थी। इसलिए टिकट खरीदने के लिए उन्हें अपनी फैक्टरी के कराची कार्यालय से संपर्क करना पड़ा। शाहजैन ने कहा कि एयरलाइन ने अभी तक माफी नहीं मांगी है और न ही जिम्मेदारी स्वीकार की है। इसलिए उन्होंने कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस भेजने का उनका उद्देश्य आर्थिक मुआवजा मांगना नहीं, बल्कि जवाबदेही तय करना है।

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