Supreme Court on Stray Dog: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (12 अगस्त) को दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को शेल्डर हॉम्स भेजने के आदेश के बाद बहस छिड़ गई. इसके बाद एससी में आवारा कुत्तों को लेकर एक याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की गई. इस याचिका को कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) ने 2024 में दाखिल किया था. इस याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनाती दी गई थी.
सीजेआई ने 2024 की याचिका का किया जिक्र
जिसका जिक्र बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने अपनी बेंच के समक्ष किया. उन्होंने आवारा कुत्तों की नियमित नसबंदी और टीकाकरण वाली एक याचिका पर याचिका पर कहा कि मैं इस मुद्दे पर विचार करूंगा. हालांकि ये स्पष्ट नहीं हुआ कि मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई 2024 की याचिका के बारे में बात कर रहे थे या मंगलवार को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में. जिसे लेकर पशु कल्याण कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है.
दरअसल, बुधवार को चीफ जस्टिस बीआर गवई की कोर्ट में 2024 में दायर की गई एक याचिका का जिक्र किया गया. जिसमें दावा किया गया था कि राजधानी दिल्ली में नगर निगम अधिकारी कुत्तों की नियमित रूप से नसबंदी नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से कुत्तों के हमले के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसके बाद इसे लेकर जुलाई 2024 में एक नोटिस जारी किया गया.
इसे लेकर सीजेआई बीआर गवई ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही एक आदेश पारित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि जिसमें हाल ही में दिए गए उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नगर निकायों को आठ हफ्ते के भीतर दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रय गृहों में भेजने को कहा गया था. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने आगे कहा कि वह इस पर विचार करेंगे. हालांकि एससी ने अभी तक इस मामले को सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं किया है.
सीजेआई जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले को केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अन्य संबंधित निकायों को नोटिस जारी किया था. बता दें कि सोमवार को जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने इस मामले को लेकर कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों का खतरा ‘गंभीर’ है. उन्होंने इसके खिलाफ तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया था.
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