भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए पुराने ढांचे पर भरोसा नहीं कर सकते: राजनाथ

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मानेकशा सेंटर में ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग’ के दूसरे दिन शुक्रवार को अपने समापन भाषण में तकनीकी रूप से भारत के मजबूत होने की यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब भारत ताकत, सुरक्षा और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ता है, तो दुनिया को कई तरह से फायदा होता है। एक स्थिर भारत एक स्थिर वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में योगदान देता है। हमारी आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकीय काबिलियत और उसूलों वाली विदेशी नीति ने हमें संतुलित और जिम्मेदारी की आवाज बना दिया है।

 

उन्होंने कहा कि हम सुरक्षा और कनेक्टिविटी दोनों को सहायता करने के लिए सीमा और समुद्री ढांचे को मजबूत कर रहे हैं। हम नए प्लेटफॉर्म, प्रौद्योगिकी और संरचना के जरिए अपने सशस्त्र बलों को आधुनिक कर रहे हैं। हम गति, पारदर्शिता और जवाबदेही पक्का करने के लिए खरीद प्रक्रिया में सुधार कर रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत के जरिए हम एक रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे हैं, जो नवाचार को बढ़ावा देता है, उद्योगों की सहायता करता है, और बाहरी निर्भरता को कम करता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस बदलते वैश्विक माहौल में भारत की जगह भी बदल रही है। हमारी आर्थिक विकास, प्रौद्योगिकीय काबिलियत और उसूलों वाली विदेशी नीति ने हमें संतुलित और जिम्मेदारी की आवाज बना दिया है।

 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज भारत ग्लोबल चर्चाओं के हाशिये पर नहीं खड़ा है, बल्कि हम उन्हें आकार दे रहे हैं। आजकल इंडो-पैसिफिक और ग्लोबल साउथ के देश भारत को एक भरोसेमंद पार्टनर के तौर पर देखते हैं। यह भरोसा हमें अपने आप नहीं मिला है। यह देशों की संप्रभुता और नियमों पर आधारित इंटरनेशनल ऑर्डर के हमारे लगातार सम्मान के जरिए कमाया गया है। भारत के सामने कई तरह की चुनौतियां सामने आती हैं, जिनमें आतंकवाद, कट्टरपंथी तत्वों को सीमा पार से सहयोग, मौजूदा हालात को बदलने की कोशिशें, समुद्री दबाव और यहां तक कि सूचना युद्ध भी। ये मुश्किल हालात हैं, जिनके लिए लगातार सावधान रहने और मकसद साफ रखने की जरूरत होती है।

 

उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि भारत ने हमेशा शांति और बातचीत में विश्वास किया है और हम इसी नजरिए पर कायम हैं। मैं साफ-साफ कहना चाहता हूं कि जब हमारी संप्रभुता और हमारे लोगों की सुरक्षा की बात आती है, तो हम कोई समझौता नहीं करते। हमारे सशस्त्र बलों ने बार-बार दिखाया है कि वे काबिल और तैयार हैं। संयम और मजबूती का यही मेल हमें अपने पड़ोस की चुनौतियों से निपटने और इलाके की स्थिरता में योगदान देने में मदद करता है। जब हम दुनिया के माहौल और अपने पड़ोस की असलियत को देखते हैं, तो एक बात बहुत साफ हो जाती है कि हम भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए पुराने ढांचे पर भरोसा नहीं कर सकते। दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है और खतरों का स्वरूप खतरनाक होता जा रहा है। इसलिए सुधार अब कोई पसंद नहीं, बल्कि रणनीतिक जरूरत बन गए हैं।

 

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार यह पक्का करने के लिए लगातार कदम उठा रही है कि हमारे सशस्त्र बल भविष्य के लिए तैयार रहें और हमारा देश भरोसे के साथ आगे बढ़े। हम स्टार्टअप्स, डीप-टेक क्षमताओं और अनुसंधान और विकास में निवेश कर रहे हैं, जो भविष्य के युद्ध के मैदानों को आकार देंगे। इस तरह एक सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत अकेला नहीं रहेगा। यह अच्छाई के लिए एक ताकत बनेगा और एक ऐसा देश बनेगा, जो दुनिया की शांति और इंसानी भलाई को मजबूत करेगा। जब भी हम एक मजबूत, सुरक्षित और विकसित भारत की बात करते हैं, तो मेरे मन में सबसे पहले हमारे सशस्त्र बलों की भूमिका का ख्याल आता है। उनकी हिम्मत, अनुशासन और प्रतिबद्धता हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की रीढ़ हैं, लेकिन उनका योगदान हमारी सीमाओं की रक्षा करने से कहीं ज्यादा है।——————–

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