पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की जयंती पर राष्ट्रपति सहित कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली : भारत के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न प्रणब मुखर्जी की जयंती पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरूवार को राष्ट्रपति भवन में उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रणब मुखर्जी भारतीय लोकतंत्र और संविधान के सच्चे रक्षक थे और उनका जीवन राष्ट्रहित, कर्तव्यनिष्ठा और सार्वजनिक सेवा का प्रतीक रहा। साथ ही उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, अमित शाह, नितिन गडकरी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत तमाम नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें सच्चा समाजसेवक और मार्गदर्शक बताया।

 

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने अपने कहा कि प्रणब मुखर्जी भारतीय राजनीति के महान स्तंभ थे। उनके दीर्घ और समर्पित सार्वजनिक जीवन ने देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने सांसद, मंत्री और राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान लोकतंत्र की नींव को मजबूत किया। उनकी बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता और सार्वजनिक जीवन के प्रति निष्ठा आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

 

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की व्यक्तिगत और राजनीतिक प्रतिभा हमेशा याद रखी जाएगी। प्रणब बाबू का व्यक्तित्व राजनीति से परे था और उनके आदर्श, नेतृत्व क्षमता और राष्ट्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता आज भी हर नागरिक के लिए प्रेरणा है। गृहमंत्री ने मुखर्जी के योगदान को राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में अविस्मरणीय बताया।

 

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उन्हें नमन करते हुए कहा कि प्रणब मुखर्जी जैसी शख्सियत को हमेशा याद रखा जाएगा।

 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने अपने जीवन के हर कार्यकाल में देश की सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। मुखर्जी ने प्रत्येक पद पर गहन ज्ञान, अनुभव और उत्कृष्ट नेतृत्व दिखाया। उन्होंने महत्वपूर्ण सरकारी निर्णयों में मार्गदर्शन किया और संसदीय लोकतंत्र की नींव को मजबूती प्रदान की। उनके योगदान का प्रभाव आज भी भारतीय राजनीति और प्रशासन में देखा जा सकता है।

 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रणब मुखर्जी की दूरदर्शिता, सरलता और राष्ट्रहित के प्रति उनके समर्पण को भारतीय लोकतंत्र की अमूल्य धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि मुखर्जी का जीवन और उनके निर्णय देशवासियों के लिए सदैव मार्गदर्शन का कार्य करेंगे। आदित्यनाथ ने विशेष रूप से उनकी नीति-निर्माण क्षमता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को सराहा।

 

केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल ने प्रणब मुखर्जी को वरिष्ठ एवं जनप्रिय नेता बताते हुए उन्हें विनम्र अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन में शुचिता, पारदर्शिता और स्पष्टवादिता की प्रतिमूर्ति रहे प्रणब बाबू ने राजनीति के माध्यम से जो राष्ट्र और समाज की सेवा की है, वह सदैव आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का काम करेगी।

 

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रणब मुखर्जी को सादगी, शुचिता और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि मुखर्जी का जीवन राष्ट्र और समाज की उन्नति के लिए समर्पित था और उनके कार्यों और विचारों के माध्यम से वह सदैव देशवासियों के हृदय में जीवित रहेंगे।

 

केंद्रीय कानून एवं न्याय और संसदीय कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में शुचिता, पारदर्शिता और स्पष्टवादिता की प्रतिमूर्ति रहे प्रणब मुखर्जी ने राजनीति के माध्यम से राष्ट्र और समाज की सेवा की। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का आदर्श है।

 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रणब मुखर्जी का योगदान देश के विकास और आर्थिक सुधारों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। प्रणब मुखर्जी का व्यक्तित्व और नीति-निर्माण क्षमता प्रेरणास्रोत है।

 

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रणब मुखर्जी की दूरदर्शिता, संवैधानिक मूल्यों के प्रति निष्ठा और राष्ट्रहित के निर्णयों को याद करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि उनके विचार और निर्णय हमेशा स्मरणीय रहेंगे और यह देश के लोकतांत्रिक इतिहास में उनकी अमिट छवि को दर्शाता है।

 

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी का पूरा जीवन लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अडिग निष्ठा, दूरदर्शी नीति-निर्माण और राष्ट्र की अनुकरणीय सेवा की मिसाल है।

 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी का जीवन राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पित था। उनके योगदान से जनसेवा और प्रशासनिक उत्कृष्टता की नई परिभाषा स्थापित हुई। मुखर्जी का व्यक्तित्व और नीति-निर्माण क्षमता को युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।

 

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि मुखर्जी का जीवन और उनके द्वारा किए गए निर्णय देश के लोकतंत्र और प्रशासन के लिए आदर्श हैं।

 

व्यक्तित्व एवं कृतित्व

 

प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के मिराती में हुआ। उनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे और स्वतंत्रता के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में सदस्य बने। प्रणब मुखर्जी ने सूरी विद्यासागर कॉलेज और कलकत्ता विश्वविद्यालय से इतिहास, राजनीति विज्ञान और कानून की पढ़ाई पूरी की। साल 1963 में उन्होंने अध्यापन शुरू किया और बंगाली मासिक और साप्ताहिक प्रकाशनों में संपादक के रूप में भी कार्य किया।

 

साल 1969 में उन्होंने पहली बार राज्यसभा का चुनाव जीतकर सार्वजनिक जीवन में कदम रखा। इंदिरा गांधी के मार्गदर्शन में 1973 से उन्होंने मंत्रिमंडल में विभिन्न जिम्मेदारियां संभाली और 1982 में वित्त मंत्री बने। राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राजनीतिक उतार-चढ़ाव आए लेकिन 1989 तक उन्होंने कांग्रेस में पुनः सक्रियता बनाए रखी।

 

मुखर्जी ने वाणिज्य, विदेश, रक्षा और वित्त मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे राज्यसभा और लोकसभा में कांग्रेस के नेता भी रहे। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे एशियाई विकास बैंक, अफ्रीकी विकास बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

 

साल 2012 में कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया और आसानी से जीत हासिल की। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने सक्रिय और संतुलित भूमिका निभाई।

 

प्रणब मुखर्जी कई पुस्तकों के लेखक भी थे, जिनमें ‘बियॉन्ड सर्वाइवल’ और ‘चैलेंजेस बिफोर द नेशन’ शामिल हैं। 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 31 अगस्त

2020 को दिल्ली में उनका निधन हो गया।

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