नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि आज भारत के खिलाड़ी लगातार रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं और वैश्विक खेल मानचित्र पर देश को नई पहचान दिला रहे हैं। उन्होंने कहा कि खेल आज केवल प्रतिस्पर्धा का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्र गौरव और युवा सशक्तीकरण का सशक्त जरिया बन चुका है।
देशभर में चल रहे सांसद खेल महोत्सव के समापन समारोह को प्रधानमंत्री ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पहले खेल को समय की बर्बादी माना जाता था, लेकिन आज समाज यह समझ रहा है कि खेल से न केवल व्यक्तिगत विकास होता है, बल्कि पूरे समाज की किस्मत भी बदली जा सकती है। अब खेलों में अवसर असीमित हैं और पारदर्शी व्यवस्था के चलते प्रतिभा और मेहनत ही सफलता का आधार बन गई है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्ष 2014 से पहले देश का खेल बजट 12 हजार करोड़ रुपये से भी कम था, जबकि आज यह बढ़कर 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। टॉप्स योजना के तहत खिलाड़ियों को 25 हजार से 50 हजार रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है, जिससे प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 में अहमदाबाद में कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन से पूरी दुनिया की नजर भारत पर होगी और 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए भी देश प्रयासरत है। प्रधानमंत्री ने बच्चों के माता-पिता से आग्रह किया कि वे बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित करें, क्योंकि खेल स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क की बुनियाद है।
प्रधानमंत्री ने सांसद खेल महोत्सव को जन आंदोलन बताते हुए कहा कि देशभर में 290 से अधिक सांसदों द्वारा इसका आयोजन किया गया है, जिसमें एक करोड़ से अधिक युवा खिलाड़ियों ने पंजीकरण कराया। शहरों से लेकर गांवों तक युवाओं की भागीदारी इसके व्यापक प्रभाव को दर्शाती है। यह महोत्सव समाज की सोच बदलने में भी अहम भूमिका निभा रहा है, जहां दिव्यांग खिलाड़ी नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं और बेटियां अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
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