नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारतीय परंपरा में संतुलन और मर्यादा के महत्व पर जोर देते हुए संस्कृत का एक श्लोक साझा किया। उन्होंने कहा कि जीवन और कार्यक्षेत्र में न तो अत्यधिक अहंकार होना चाहिए और न ही अत्यधिक गहराई में गिरने का भय, बल्कि विवेक और संतुलन के साथ आगे बढ़ना ही सफलता का मार्ग है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर अपने संदेश में लिखा—
“नात्युच्चशिखरो मेरुर्नातिनीचं रसातलम्।
व्यवसायद्वितीयानां नात्यपारो महोदधिः॥”
इस श्लोक का अर्थ है कि यह कर्मशील लोगों को यह सीख देता है कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास, धैर्य और संतुलित सोच आवश्यक होती है। न तो अत्यधिक ऊँचाई असंभव है और न ही गहराई अजेय—सतत परिश्रम से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है।
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