मालदीव ने चीन की मदद से बनवाया है फ्लाइओवर, भारत ने यूं जाहिर किया गुस्सा

भारत की मदद से अपनी जरूरतें पूरी करने वाले देश मालदीव ने चीन से हाथ मिला लिया है. मालदीव ने चीन की मदद से फ्लाइओवर बनवाया है. यह बार भारत को नागवार गुजरी है. चीन के इस फ्लैगशिप इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के उद्धाटन से भारत ने दूरी बनाई है और अपना विरोध भी जताया है. मालदीव में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्रा इस फ्लाइओवर के उद्धाटन समारोह में नहीं पहुंचे. इसपर मालदीव सरकार ने अपने आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘हमने भारत के राजदूत को बुलाया, लेकिन वह कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.’ हालांकि भारत की ओर से इसपर कोई बयान नहीं आया है. इस फ्लाइओवर का उद्धाटन चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मौजूदगी में किया गया.मालदीव ने चीन की मदद से बनवाया है फ्लाइओवर, भारत ने यूं जाहिर किया गुस्सा

मालदीव पर आरोप लगे हैं फ्लाइओवर के उद्धाटन समारोह में उसकी ओर से दूसरे देशों के राजदूतों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. आरोप है कि फ्लाइओवर के उद्धाटन स्थल पर केवल चीन के राजदूत की कार को पहुंचने दिया गया. इसपर मालदीव मे विपक्ष के प्रवक्ता अहमद महलूफ ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘श्रीलंका और बांग्लादेश के राजदूतों ने इस कार्यक्रम का बॉयकॉट किया क्योंकि उनकी कारों को यमीन के सुरक्षाकर्मियों ने रोक लिया था और उनसे पैदल जाने को कहा गया.’ महलूफ ने लिखा ‘केवल चीनी राजदूत की कार को आयोजन स्थल तक आने दिया गया.’ यमन ने 200 मिलियन डॉलर की लागत से बने इस पुल को उनके राजनयिक इतिहास की सबसे बड़ी कामयाबी बताया है.

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