बजट : मीडिल क्लास को ठेंगा, बढ़ेगी महंगाई

वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज में लाइट मेट्रो का चयन
पूर्वांचल में एक्सप्रेस-वे का जाल बिछाने के प्रस्ताव

सुरेश गांधी

वाराणसी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से बाजार तो बेहद खुश है, लेकिन लोग नाराज हैं। लोगों ने इस बजट को महंगाई बढ़ाने वाला बताया। जबकि कुछ लोगों ने कहा इन्फ्रास्ट्रक्चर का बजट बढ़ने से वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मिलेंगी। लेकिन ज्यादातर लोगों ने कहा, सरकार के इस बजट से उन्हें कुछ नहीं मिला। नए बजट में प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा दिया गया है। टैक्स को लेकर कुछ नया नहीं किया। पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं। बढ़ती महंगाई का असर उनकी खाने की थाली पर भी होगा। बता दें, बजट 2021 से मध्यम वर्ग को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने उन्हें खाली हाथ ही रखा है, बात चाहे टैक्स में छूट की हो या फिर हेल्थ इंश्योरेंस की मध्यम वर्ग को वित्तमंत्री से कुछ भी नहीं मिला है।

केन्द्र सरकार की तरफ से इस बार सबसे ज्यादा फोकस स्वास्थ्य सेवाओं और बनियादी ढांचे पर किया गया। जबकि, आयकर में छूट को लेकर मध्यम वर्ग को किसी तरह की कोई राहत नहीं दी गई। इस वक्त ढाई लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है. साल 2014 में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने टैक्स में छूट की सीमा को 2 लाख से बढ़कार ढाई लाख रुपये किया था। 7 साल बाद मीडिल क्लास की तरफ से यह उम्मीद की जा रही थी कि इसे ढाई से बढ़ाकर 3 लाख करने की। लेकिन, मीडिल क्लास को इस मोर्चे पर नाकामी हाथ लगी है। यही नहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल पर 2.50 रुपये और डीजल पर 4 रुपये का कृषि सेस लगाने का ऐलान किया है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसका ग्राहकों पर कोई असर नहीं होगा। फिर भी भविष्य में ग्राहकों पर इसका प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

टैक्स स्लैब में नहीं मिली छूट
कोरोना महामारी के बाद यह सरकार का पहला बजट था, जिससे आम आदमी की बहुत उम्मीदें जुड़ी थीं। मध्यम वर्ग यह सोच रहा था कि उसे टैक्स स्लैब में छूट मिलेगी, लेकिन सरकार ने टैक्स स्लैब के बारे में कोई घोषणा नहीं की। ना तो सरकार ने टैक्स स्लैब को घटाया ना ही उसे बढ़ाने की घोषणा की। पुराने टैक्स स्लैब के अनुसार 2.5 लाख रुपये तक की आय पूरी तरह से कर मुक्त है। इसके बाद 2.5 से 5 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी का टैक्स लगता है, लेकिन इसके बदले सरकार 12,500 रुपये तक की छूट देती है जिससे टैक्स जीरो हो जाता है और 5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है।

अस्पताल के खर्चों पर नहीं मिली कोई टैक्स राहत
मध्यम वर्ग मोदी सरकार का बड़ा वोटर है, ऐसे में मध्यम वर्ग पर सरकार हमेशा फोकस करती रही है, लेकिन इस बार के बजट में उनके लिए कुछ भी नहीं है। कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य पर लोगों का काफी खर्च हुआ। यहां तक कि उन्हें अस्पताल में भरती होने का खर्च भी उठाना पड़ा। ऐसे में सरकार से उम्मीद की जा रही थी कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर हॉस्पिटलाइजेशन से जुड़े खर्चों पर टैक्स राहत देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यह उम्मीद भी थी कि सरकार अस्पताल से जुड़े खर्चों के लिए पैकेज की घोषणा कर सकती है। मगर मध्यम के खाते में यह भी नहीं आया।

कोरोना को 80डीडीबी में नहीं किया गया शामिल
टैक्स नियमों के मुताबिक न्यूरो संबंधित बीमारी, कैंसर, एड्स और क्रोनिक रेनल फेल्योर समेत कई बीमारियों के लिए सेक्शन 80डीडीबी के तहत सालाना 40 हजार रुपये तक का टैक्स डिडक्शन लाभ मिलता है। ऐसे में यह मांग की जा रही थी कि कोरोना को भी इस नियम के तहत लाया जाये, लेकिन बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 1 लाख रुपये है।

सस्ते मकानों के लिए कर्ज पर टैक्स में छूट एक साल बढ़ा
केंद्र सरकार ने सस्ते मकानों की खरीद के लिए होम लोन के ब्याज भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कर कटौती को एक साल तक के लिए बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 तक करने की घोषणा कर दी है। बजट 2021 में सरकार के इस कदम से सुस्त पड़े रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग बढ़ाने में मदद मिल सकती है। सरकार ने 2019 के बजट में दो लाख रुपये से ऊपर डेढ़ लाख रुपये की अतिरिक्त कटौती की घोषणा की थी। पहली बार और 45 लाख रुपये तक का मकान खरीदने वालों के लिए यह लाभ दिया गया। कोरोनावायरस संक्रमण काल में रियल एस्टेट को हुए नुकसान की इससे कुछ हद तक भरपाई की उम्मीद है।

जाम छलकाना पड़ेगा महंगा
शराब पर सरकार ने 100 फीसदी सेस लगा दिया है। इससे शराब की कीमतों में भारी बढ़ोतरी होगी। शराब के शौकीनों को बजट से बड़ा झटका लगा है। इसके साथ ही सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर भी सेस बढ़ा दिया है। डीजल पर चार रुपये और पेट्रोल पर ढाई रुपये सेस लगाये गये हैं। पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी होने से बाकी सामनों के दाम भी बढ़ सकते हैं। मतलब साफ है कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार कुछ चीजों पर सेस लगाकार कमाई करने का इरादा रखती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटती कीमतों के बीच पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स बढ़ाकर सरकार अपना खजाना भरना चाहती है।

बुजुर्गों, किसानों पर मेहरबानी
75 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को आयकर रिटर्न दाखिल करने से राहत दी है, तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट को बढ़ाया है। किसानों के लिए बजट में खास है, तो बीमा क्षेत्र में एफडीआई को बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने का ऐलान किया गया है। कोरोना के खिलाफ टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।

‘आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना’ पर फोकस
आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का ऐलान किया. सरकार की ओर से 64180 करोड़ रुपये इसके लिए दिए गए हैं और स्वास्थ्य के बजट को बढ़ाया गया है। महिलाओं को सभी शिफ्ट में काम करने की इजाजत मिलेगी, नाइट शिफ्ट के लिए पर्याप्त सुरक्षा भी दी जाएगी। स्वच्छ भारत मिशन को आगे बढ़ाने का ऐलान किया. जिसके तहत शहरों में अमृत योजना को आगे बढ़ाया जाएगा, इसके लिए 2,87,000 करोड़ रुपये जारी किए गए।

वर्क फ्रॉम होम वालों को नहीं मिली राहत
कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम न्यू नॉर्मल बन गया है. ऐसे में तमाम नौकरीपेशा लोगों का खर्च बढ़ गया है. जानकार बताते हैं कि कर्मचारियों के अतिरिक्त खर्चों को बहुत सी कंपनियों ने रीइम्बर्स किया है, लेकिन ऐसे रीइम्बर्समेंट पर टैक्स लगता है. इसलिए यह उम्मीद की जा रही थी कि ऐसे रीबेट यानी डिडक्शन की व्यवस्था की जाएगी ताकि ऐसे खर्चों पर टैक्स की बचत हो सके. इस पर भी कुछ नहीं हुआ।

जल जीव मिशन को प्राथमिकता
बजट में जल जीव मिशन को प्राथमिकता दी गई है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल योजना को मूर्तरूप देना है। इस कार्य के लिए जल निगम व लघु सिंचाई विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। फिलहाल एक प्रस्ताव को हरी झंडी मिली है। फिलहाल, एक प्रस्ताव को हरी झंडी मिली है जिसमें 93 राजस्व गांवों के 22 हजार घरों में पेयजल कनेक्शन किया जाएगा। इसके लिए पुरानी पाइप लाइनों की मरम्मत के साथ ही नई पाइप लाइनें बिछाई जाएंगी। इस कार्य के लिए निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई हैं। प्रथम चरण में यह 29 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है। इस बजट से पुरानी योजनाओं को जनोपयोगी बनाना है। इसके लिए 61 ग्राम पंचायतों के 93 राजस्व गांवों को शामिल किया गया है। इन गांवों के 22723 घरों में पेयजल कनेक्शन करना है।

लाइट मेट्रो के लिए प्रावधान
केंद्र सरकार द्वारा बजट में लाइट मेट्रो के लिए प्रावधान किए जाने से यूपी के तीन शहरों गोरखपुर, प्रयागराज और वाराणसी में लाइट मेट्रो चलने की राह आसान हो गई है। राज्य सरकार प्रदेश के सात शहरों लखनऊ, आगरा, कानपुर, मेरठ, गोरखपुर, वाराणसी और प्रयागराज में मेट्रो रेल चलाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया था। लखनऊ में मौजूदा समय मेट्रो रेल चल रही है। कानपुर और आगरा में मेट्रो रेल परियोजना का काम शुरू हो गया है। मेरठ में रैपिड रेल परियोजना शुरू हो चुकी है। गोरखपुर, वाराणसी और प्रयागराज में आबादी कम होने के चलते मेट्रो रेल परियोजना शुरू होने में बाधा आ रही है। केंद्रीय बजट में लाइट मेट्रो के लिए प्रावधान किए जाने के बाद यूपी के तीन शहरों में इसकी राह आसान होगी।

क्या है लाइट मेट्रो
मेट्रो रेल परियोजना से लाइट मेट्रो की निर्माण लागत कम आती है। मेट्रो रेल निर्माण पर 200 से 215 करोड़ रुपये प्रति किमी लागत आती है, जबकि लाइट मेट्रो के निर्माण की लागत 120 से 125 करोड़ रुपये आती है। इसके लिए पटरियां भी कम चौड़ी होती हैं और डिब्बे भी कम होते हैं। स्टेशन या कहें प्लेटफार्म भी इसके छोटे होते हैं। लाइट मेट्रो खासकर छोटे शहरों के लिए होता है। इसलिए इस योजना के आने के बाद यूपी के छोटे शहरों में बेहतर यातायात की सुविधा देने के लिए लाइट मेट्रो काफी कारगर साबित होगा।

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