जानिए- वैश्विक महामारी कोविड-19 ने कैसे बढ़ाया मानव तस्‍करी का खतरा, UNODC ने किया आगाह

वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से जहां पूरी दुनिया में 22 लाख से अधिक मरीजों की मौत अब तक हो चुकी है वहीं इसकी वजह से पूरी दुनिया में लाखों लोग बेरोजगार भी हुए हैं। दूसरी तरफ इस महामारी ने पूरी दुनिया में मानव तस्‍करी के खतरे को भी बढ़ा दिया है। संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में मानव तस्‍करी का शिकार हुए 50 हजार पीडि़तों का पता लगा था। ये लोग 148 देशों से थे।

अधिक हो सकती है पीडि़तों की संख्‍या 

यूएन ऑफिस ऑन ड्रग्‍स एंड क्राइम ( UN Office on Drugs and Crime/UNODC) का मानना है कि जितने पीडि़तों का इस दौरान पता चला है असल में इनकी संख्‍या इससे कहीं अधिक हो सकती है। जहां तक कोविड-19 और मानव तस्‍करी के बीच संबंधों की बात है तो संयुक्‍त राष्‍ट्र का कहना है कि इस महामारी की वजह से लाखों लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना ड़ा है। इसकी वजह से इन लोगों की आर्थिक मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। ऐसे में ये मानव तस्‍करी गिरोह के लिए आसान शिकार हो सकते हैं। यूएनओडीसी ने इसको लेकर आगाह किया है कि ये संकट कहीं अधिक बड़ा हो सकता है।

बेरोजगार लोग हैं आसान शिकार 

यूएन एजेंसी की मानें तो इस महामारी की बदौलत नौकरी से हाथ धोने वालों में बड़ी संख्‍या में महिलाएं भी शामिल हैं। इसकी वजह से बच्‍चों का स्‍कूल जाना बंद हो गया है कई परिवार ऐसे हैं जिनमें किसी के पास कोई काम-धंधा नहीं रह गया है। ऐसे लोगों को किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा या सहयोग भी नहीं मिल पा रहा है। काम की तलाश में ये लोग कहीं भी जाने को तैयार हो सकते हैं। कामकाज की तलाश की ये मजबूरी मानव तस्‍करी में शामिल गिरोह के लिए फायदे का सौदा हो सकती है। इन लोगों को काम दिलाने के बहाने से ये गिरोह आसानी से अपना शिकार बना सकते हैं। लिहाजा विश्‍व स्‍तर पर इसके ऊपर निगाह रखनी बेहद जरूरी है। संगठन के एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर घड़ा वेली इसके लिए पूरी दुनिया से सहयोग की अपेक्षा की है। उन्‍होंने कहा है कि इस तरह के अपराध को रोकने के लिए सभी को साथ आने की जरूरत है, नहीं तो इस स्थिति का फायदा उठाने में ये आपराधिक गिरोह सफल हो जाएंगे।

ग्‍लोबल रिपोर्ट ऑन ट्रेफिंकिंग 

संगठन की तरफ से जारी ग्‍लोबल रिपोर्ट ऑन ट्रेफिंकिंग में कहा गया है कि ये गिरोह अपने अपराध को अंजाम देने के लिए तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। अब ये इनके काम को आसान बनाने का एक बड़ा जरिया बन गया है। इसके माध्‍यम से इन्‍हें अपना शिकार तलाशने और उसको अपने चंगुल में फंसाने में भी सहयोग हासिल हो रहा है। महिलाओं के अलावा बच्‍चे भी इनके सबसे आसान शिकारों में शामिल हैं। इनके शिकार बनने वालों में ज्‍यादातर ऐसे लोग शामिल हैं जो सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। संगठन ने इस तरह का अपराध करने वालों के दो तरीकों को भी दुनिया के सामने रखा है। इसमें पहला तरीका हंटिंग है तो दूसरा तरीका फिशिंग है। हंटिंग के जरिए सोशल मीडिया के जरिए लोगों को फांसना है तो फिशिंग के जरिए फर्जी नौकरी का विज्ञापन देकर अपने सही शिकार की प्रतीक्षा करना है।

शिकार फांसने के लिए तकनीक का सहारा  

इंटरनेट की सुविधा ने इन्‍हें अपने शिकार को फांसने का एक नया जरिया दे दिया है। इसके जरिए वो न सिर्फ अपने शिकार को फांसते हैं बल्कि उन्‍हें कई तरह से प्रताडि़त भी करते हैं। इस तरह के शिकार पूरी दुनिया में मौजूद हैं। संगठन के मुताबिक प्रोग्रेसो, यारो और हुंड्रास की 13 से 14 वर्ष की लड़कियां जो आपस में दोस्‍त थीं इसकी भुग्‍तभोगी रह चुकी हैं। इनको गिरोह ने अपने चंगुल में फंसाकर देह व्‍यापार में धकेल दिया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं और लड़कियों को जहां ये आपराधिक गिरोह देह व्‍यापार में धकेलते हैं वहीं पुरुषों को ये बंधुआ मजदूर की तरह इस्‍तेमाल करते हैं। 2018 में जितने पीडि़तों की जानकारी सामने आ सकी थी उनमें 5 महिलाएं और दो युवतियां शामिल थीं। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस तरह का अपराध करने वालों में अधिकतर पुरुष होते हैं।

 

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