नाकाम पंड्या को मौका देने से लेकर अश्विन पर बोझ डालने तक, ये रहे भारत की हार के कारण

बर्मिंघम के बाद साउथम्प्टन में एक बार फिर टीम इंडिया को ऐसी हार मिली है, जो दिल तोड़ देने वाली है. इस हार की उम्मीद न टीम इंडिया को थी और न ही भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को.  नाकाम पंड्या को मौका देने से लेकर अश्विन पर बोझ डालने तक, ये रहे भारत की हार के कारण

बल्लेबाजी में लचर प्रदर्शन से लेकर टीम इंडिया के गेंदबाजों का अहम मौकों पर विकेट न ले पाना अब उसकी आदत बन गया है. साउथम्प्टन में टीम इंडिया चौथे दिन ही 60 रनों से यह मैच और सीरीज गंवा बैठी.

साथ ही घबराए हुए मेजबान इंग्लैंड ने सीरीज में 3-1 की अजेय बढ़त बनाकर राहत की सांस ली, जिन्हें शायद टीम इंडिया से ऐसे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं होगी. टीम इंडिया का वह सपना भी टूट गया जिसको लेकर वह ढाई महीने पहले इंग्लैंड दौरे पर आई थी.

साउथम्प्टन में भारत 11 साल बाद इंग्लैंड की धरती पर सीरीज जीतने की दौड़ से बाहर हो गया, जिसके पीछे बहुत गलतियां थी. आइए एक नजर डालते हैं टीम इंडिया की गलतियों पर:

1. इंग्लैंड के खिलाए दो स्पिनर, भारत ने अश्विन पर डाला बोझ:

साउथम्प्टन के हालात को देखते हुए इंग्लैंड के मैच से एक दिन पहले ही अपनी प्लेइंग इलेवन घोषित कि जिसमें उन्होंने मोईन अली और आदिल राशिद के रूप में दो स्पिन गेंदबाजों को शामिल किया.

विराट कोहली यहां चूक गए और साउथम्प्टन में हार्दिक पंड्या को बरकररार रखा. अश्विन के साथ रवींद्र जडेजा बेहतर विकप साबित हो सकते थे. अगर जडेजा इस मैच में खेलते तो अश्विन को इससे काफी मदद मिलती. ऐसी स्थिति में इंग्लैंड के मोईन अली को आदिल राशिद का साथ मिला. राशिद ने विकेट तो नहीं लिए, लेकिन मोईन के अलावा जो दबाव टीम इंडिया पर बनाया वह काम कर गया.

अश्विन ने इस मैच में 51 ओवर गेंदबाजी की, लेकिन उन्हें सिर्फ 3 विकेट मिले. दूसरी तरफ इंग्लैंड के लिए मोईन अली ने मैच में सिर्फ 42 ओवर की गेंदबाजी में 9 विकेट हासिल किए.  

2. सबसे नाकाम ऑलराउंडर साबित हुए पंड्या:

भारत पिछले काफी लंबे समय से एक ऑलराउंडर की तलाश में है. लेकिन ये तलाश पूरी ही नहीं हो रही है. पंड्या वैसे ऑलराउंडर नहीं जैसा भारत चाहता है, क्योंकि वह गेंदबाज के रूप में प्रभावहीन हैं और बल्ले से पर्याप्त रन नहीं बना रहे हैं.

पंड्या की नाकामी से टीम इंडिया का मिडिल ऑर्डर बिखर जाता है. पंड्या जिस नंबर पर खेलते हैं उस नंबर पर यदि कोई स्पेशलिस्ट बल्लेबाज टीम में होता तो नतीजे अलग हो सकते थे.

टीम इंडिया के दोनों ओपनर पहले ही भारत को अच्छी शुरुआत नहीं दे पा रहे हैं, ऐसे में पुजारा, कोहली और रहाणे के अलावा मिडिल ऑर्डर पूरी तरह से अनुभवहीन हैं.

अभी टीम में हार्दिक पंड्या बतौर ऑलराउंडर खेल रहे हैं, लेकिन उनके प्रदर्शन को आधार बनाए तो वह इसपर बिल्कुल खरे नहीं उतरते हैं. टेस्ट क्रिकेट में वह एक ऑलराउंडर की जगह नहीं भर पाए. शायद, इंग्लैंड और भारत में एक बड़ा अंतर ये भी रहा. कई जगह ऐसा लगा कि शायद हार्दिक की जगह रविंद्र जडेजा बेहतरीन च्वाइस हो सकते थे.

3. पुछल्ले बल्लेबाजों का कोई तोड़ न होना:

इंग्लैंड की धरती पर सीरीज जीतने का बेहतर मौका गंवाने का सबसे बड़ा कारण यह रहा कि भारतीय टीम जिस भी मैच में अच्छी पकड़ बना लेती तो इंग्लैंड के पुछल्ले बल्लेबाज उस पर पानी फेर देते. बर्मिंघम टेस्ट में सैम कुरेन टीम इंडिया के लिए सरदर्द साबित हुए. लॉर्ड्स में क्रिस वोक्स ने सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए अपने करियर का पहला शतक जड़कर भारत को जीत से महरूम रखा और साउथम्प्टन में एक बार फिर सैम कुरेन ने बर्मिंघम वाली स्क्रिप्ट लिख दी.

4. आउट ऑफ फॉर्म राहुल को बार-बार मौका:

विराट कोहली ने साउथम्प्टन में भी आउट ऑफ फॉर्म लोकेश राहुल को बरकरार रखा. राहुल के प्रदर्शन की बात करें तो मौजूदाटेस्ट सीरीज के पहले टेस्ट  में इस बल्लेबाज ने 4 और 13 रन बनाए. नतीजा टीम इंडिया यह मैच 31 रनों से गंवा बैठी.

लॉर्ड्स में राहुल ने 8 और 10 रन बनाए. नॉटिंघम में राहुल ने 23  और 36  रन बनाए  और साउथम्प्टन में राहुल के बल्ले से 19 और 0 रन ही निकले. टीम प्रबंधन अगर राहुल की जगह युवा हनुमा विहारी और पृथ्वी शॉ पर भरोसा दिखाती तो नतीजे कुछ और ही होते.

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