चार संदिग्ध दिल्ली पुलिस की हिरासत में, भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े होने का शक

जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। ताजा मामले में दिल्ली पुलिस ने पूर्वी दिल्ली इलाके से चार संदिग्धों को हिरासत में लिया है। चारों लोगों के भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े होने का शक है। पुलिस चारों से पूछताछ कर रही है। बताया जा रहा है कि पूछताछ के आधार पर पुलिस जल्द ही मामले को मीडिया के सामने रख सकती है। जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। ताजा मामले में दिल्ली पुलिस ने पूर्वी दिल्ली इलाके से चार संदिग्धों को हिरासत में लिया है। चारों लोगों के भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े होने का शक है। पुलिस चारों से पूछताछ कर रही है। बताया जा रहा है कि पूछताछ के आधार पर पुलिस जल्द ही मामले को मीडिया के सामने रख सकती है।    इससे पहले भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच के दौरान पुलिस द्वारा बरामद किए गए एक पत्र में नक्सलियों द्वारा पीएम मोदी की हत्या की साजिश का खुलासा हुआ था। इसी मामले की जांच करते हुए पांच राज्य महाराष्ट्र, गोवा, झारखंड, तेलंगाना और दिल्ली में छापेमारी कार्रवाई की थी। वामपंथी सुधा भारद्वाज को उनके फरीदाबाद स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया था।  वहीं वरवर राव को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था। वामपंथी विचारक अरुण फरेरा और वर्णन गोनजाल्विस भी हिरासत में लिए गए थे। वामपंथी विचारक गौतम नवलखा को भी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया था। इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के पास से लैपटॉप, पेन ड्राइव और कागजात बरामद किए गए था। बता दें कि गत जून महीने में कबीर कला मंच के सुधीर ढवले और नागपुर से एक वकील सुरेंद्र गडलिंग को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, बाद में कोर्ट के आदेश पर सभी अपने-अपने घरों में नजरबंद हैं।    मूसलाधार बारिश से दिल्ली की सड़कों पर भरा पानी, गिरी डीडीए ग्राउंड की दीवार यह भी पढ़ें यह था पूरा मामला  भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान नए साल के दिन पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों के बीच संघर्ष हो गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इस परिषद के दूसरे दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई थी। हिंसा के लिए यलगार परिषद के आयोजन पर भी आरोप लगाया गया था।   जेएनयू में स्टार्टअप कंपनी तैयार करने की कवायद तेज, दस हजार गज में स्थापित होगा केंद्र यह भी पढ़ें इसी वर्ष एक जनवरी को पुणे के समीप भीमा कोरेगांव दंगे की पूर्व संध्या 31 दिसंबर को शनिवारवाड़ा के बाहर अजा-जजा कार्यकर्ताओं द्वारा यलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इसी दौरान मुंबई और कल्याण से कई माओवादी कार्यकर्ता पकड़े गए थे। जिनसे पूछताछ में भीमा कोरेगांव दंगे में माओवादी साजिश का पता चला था। नए साल के मौके पर महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई का जश्न मनाने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया लेकिन ये कार्यक्रम हिंसक झड़प में तब्दील हो गया। इस झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई और इलाके में तनाव फैल गया। ये जश्न अंग्रेजों की जीत को लेकर मनाया गया था। दलित संगठन, पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर अंग्रेजों के शौर्य दिवस को हर साल धूमधाम से मनाते हैं। सोमवार को रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) ने कोरेगांव भीमा युद्ध के 200 साल पूरे होने पर यह विशेष कार्यक्रम आयोजित कराया था।

इससे पहले भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच के दौरान पुलिस द्वारा बरामद किए गए एक पत्र में नक्सलियों द्वारा पीएम मोदी की हत्या की साजिश का खुलासा हुआ था। इसी मामले की जांच करते हुए पांच राज्य महाराष्ट्र, गोवा, झारखंड, तेलंगाना और दिल्ली में छापेमारी कार्रवाई की थी। वामपंथी सुधा भारद्वाज को उनके फरीदाबाद स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया था।

वहीं वरवर राव को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था। वामपंथी विचारक अरुण फरेरा और वर्णन गोनजाल्विस भी हिरासत में लिए गए थे। वामपंथी विचारक गौतम नवलखा को भी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया था। इन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के पास से लैपटॉप, पेन ड्राइव और कागजात बरामद किए गए था। बता दें कि गत जून महीने में कबीर कला मंच के सुधीर ढवले और नागपुर से एक वकील सुरेंद्र गडलिंग को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, बाद में कोर्ट के आदेश पर सभी अपने-अपने घरों में नजरबंद हैं। 

यह था पूरा मामला

भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान नए साल के दिन पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों के बीच संघर्ष हो गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इस परिषद के दूसरे दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई थी। हिंसा के लिए यलगार परिषद के आयोजन पर भी आरोप लगाया गया था।

इसी वर्ष एक जनवरी को पुणे के समीप भीमा कोरेगांव दंगे की पूर्व संध्या 31 दिसंबर को शनिवारवाड़ा के बाहर अजा-जजा कार्यकर्ताओं द्वारा यलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इसी दौरान मुंबई और कल्याण से कई माओवादी कार्यकर्ता पकड़े गए थे। जिनसे पूछताछ में भीमा कोरेगांव दंगे में माओवादी साजिश का पता चला था। नए साल के मौके पर महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई का जश्न मनाने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया लेकिन ये कार्यक्रम हिंसक झड़प में तब्दील हो गया। इस झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई और इलाके में तनाव फैल गया। ये जश्न अंग्रेजों की जीत को लेकर मनाया गया था। दलित संगठन, पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर अंग्रेजों के शौर्य दिवस को हर साल धूमधाम से मनाते हैं। सोमवार को रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) ने कोरेगांव भीमा युद्ध के 200 साल पूरे होने पर यह विशेष कार्यक्रम आयोजित कराया था।

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