किशनगंगा प्रोजेक्ट का निरीक्षण कर सकेगा PAK, भारत ने दी इजाजत

झेलम नदी पर किशनगंगा पनबिजली परियोजना का पाकिस्तान निरीक्षण कर सकेगा क्योंकि भारत ने इसके लिए इजाजत दे दी है. इसके बदले पाकिस्तान ने भी भारत को सिंधु नदी पर बनने वाले कोटरी बराज के निरीक्षण की अनुमति दी है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने भारत को सिंधु नदी संधि (आईडब्लूटी) के अनुच्छेद viii (4)(c) के तहत निरीक्षण की इजाजत दी है. किशनगंगा प्रोजेक्ट का निरीक्षण कर सकेगा PAK, भारत ने दी इजाजतलाहौर में 29 और 30 अगस्त को दोनों देशों के बीच संपन्न सिंधु आयोग की बैठक में कहा गया कि ‘पाकिस्तान भी भारत से आग्रह करता है कि वह झेलम बेसिन सहित किशनगंगा हाईड्रोपावर प्रोजेक्ट के विशेष निरीक्षण का प्रबंध करे जो कि साल 2014 से लंबित है. इसी आधार पर सिंधु जल संधि आोयग भी भारत को कुछ ऐसे ही प्रबंध की इजाजत देता है.’

पाकिस्तानी अखबार द डॉन के मुताबिक, बैठक में भारत और पाकिस्तान के अधिकारी एक सुर में इस बात पर सहमत थे कि सिंधु आयोग को हर हाल में सशक्त करना जरूरी है. इस्लामाबाद ने नई दिल्ली से इस जरूरत पर बल दिया कि जो भी परियोजनाएं हैं, उनसे जुड़ी सूचनाओं का आदान-प्रदान होना चाहिए. पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि ‘इस दौरान कोई एतराज (अगर पाकिस्तान की ओर से उठाया जाए) जताया जाता है, तो परियोजना के शुरुआती चरण में ही भारत के साथ इसे निपटा लिया जाए ताकि बाद में कोई परेशानी खड़ी न हो सके.’

वर्ल्ड बैंक से पाक को झटका

किशनगंगा प्रोजेक्ट को लेकर पाकिस्तान विश्व बैंक पहुंचा था लेकिन पाक की आपत्तियों को वर्ल्ड बैंक ने खारिज कर दिया. पाकिस्तान को करारा झटका देते हुए वर्ल्ड बैंक ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मई को किशनगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था. यह वही प्रोजेक्‍ट है, जिसपर पाकिस्‍तान शुरू से ही आपत्‍त‍ि जता रहा है.

10 साल में पूरा हुआ यह प्रोजेक्ट भारत और पाकिस्तान के बीच काफी वक्त से मतभेद का कारण बना हुआ है. परियोजना के उद्घाटन के बाद पाकिस्‍तान ने वर्ल्‍ड बैंक से शिकायत की थी लेकिन उसे करारा झटका लगा. 1960 के सिंधु जल समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए पाकिस्‍तान ने इस प्रोजेक्‍ट पर विश्व बैंक से निगरानी रखने को कहा था और साथ ही अपील की थी कि वर्ल्‍ड बैंक इस प्रोजेक्‍ट में गारंटर की भूमिका निभाए. हालांकि इस पर वर्ल्‍ड बैंक, पाकिस्‍तान और भारत के अधिकारियों के बीच कोई सहमति नहीं बन सकी.

330 मेगावॉट क्षमता वाली किशनगंगा परियोजना नियंत्रण रेखा से महज दस किलोमीटर की दूरी पर है. जहां यह परियोजना स्थित है वह इलाका साल भर में छह महीनों के लिए राज्य के बाकी हिस्सों से कटा रहता है. नीलम नदी, जिसका एक नाम किशनगंगा भी है पर बने इस परियोजना की शुरुआत साल 2007 में हुई थी. इसके 3 साल बाद ही पाकिस्तान ने यह मामला हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत में उठाया, जहां तीन साल के लिए इस परियोजना पर रोक लगा दी गई. साल 2013 में, कोर्ट ने फैसला दिया कि किशनगंगा प्रोजेक्ट सिंधु जल समझौते के अनुरूप है और भारत ऊर्जा उत्पादन के लिए इसके पानी को मोड़ सकता है

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com