राममंदिर निधि समर्पण अभियान के आखिरी दिन इकबाल अंसारी ने दान दिया

राममंदिर के मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने निधि समर्पण अभियान के अंतिम दिन ऐच्छिक समर्पण देकर सद्भाव का संदेश दिया। निधि समर्पण अभियान प्रमुख धीरेश्वर वर्मा व संघ के अनिल ने इकबाल अंसारी के आवास पर जाकर कूपन कटाया। उन्होंने अपने पिता हाशिम अंसारी, पत्नी मुन्नी बेगम, बेटी शमा परवीन, व बेटे जहरूद्दी के नाम भी कूपन कटवाया है।

इस अवसर पर इकबाल अंसारी ने कहा कि हमारा मजहब कहता है कि सभी धर्मों का सम्मान करो। दान देने की परंपरा सभी धर्मों में हैं, इसमें कोई धर्म की बाध्यता नहीं है। पूरे हिंदुस्तान से राममंदिर के लिए दान दिया गया लेकिन कोई विवाद नहीं हुआ। राममंदिर बन रहा है हमें खुशी है। राममंदिर बनने से अयोध्या की तरक्की का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।

यहां तक कि बड़ी संख्या में देश के मुस्लिम समाज के लोगों ने भी राममंदिर निर्माण के लिए अपना सहयोग दिया। उन्होंने कहा कि विदेश में रहने वाले रामभक्तों का काफी दवाब है कि उनके लिए भी कुछ इस तरह की योजना बनाई जाए। ऐसे में विदेशी रामभक्त भी राममंदिर के लिए अपना सहयोग दे सकें इसको लेकर विचार-विमर्श चल रहा है। ट्रस्ट की अगली बैठक में इसको लेकर चर्चा की जाएगी, उम्मीद है कि सकारात्मक परिणाम आएगा।

28 वर्षों से मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर कोर्ट में लड़ाई लड़ने के बाद रामजन्मभूमि परिसर में चल रहे मंदिर निर्माण कार्य में मुस्लिम पक्षकार बने इकबाल अंसारी ने भी गुप्त दान के रुप में समर्पण किया है। वहीं इसके पूर्व भी मंदिर निर्माण श्रमदान की भी इच्छा जताई थी।

राम मंदिर निर्माण को लेकर देशभर में चलाए जा रहे निधि समर्पण अभियान के आखिरी दिन माघ पूर्णिमा पर बाबरी पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने अपने परिवार के सभी सदस्यों के नाम मंदिर निर्माण में सहयोग दिया है। इस दौरान संघ के महानगर अध्यक्ष अनिल कुमार व विश्व हिंदू परिषद व निधि समर्पण अभियान के अयोध्या प्रभारी धीरेश्वर ने दान लेकर रसीद प्रदान की। इकबाल अंसारी के मुताबिक अयोध्या एक धर्म की नगरी है जहां हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई सभी रहते हैं। और अयोध्या की पुरानी परंपरा है कि हर धर्म कि लोग एक दूसरे की धार्मिक कार्यों के लिए दान देते रहते हैं अयोध्या का माहौल को साफ सुथरा है यहां हिंदू मुस्लिम सभी एक साथ मिलकर रहते हैं। यहां पर हमेशा लोग धर्म का कार्य करने के लिए ही आते है।

आज समर्पण के आखिरी दिन हमने भी गुप्त दान दिया है। दान देने में कोई बुराई नहीं है हिंदू मुस्लिम सभी खुलकर के दान देना चाहिए। और हमारे धर्म में लिखा हुआ है कि जो भी दान दिया जाए वह मुक्त होना चाहिए इसलिए आज उसी परंपरा को निभाते हुए अपने धर्म के अनुसार दान दिया है।

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