किडनी ट्रांसप्लांट कराने वालों को क्यों लगवाना चाहिए कोरोना का टीका, बता रही हैं डॉ. अलका भसीन

इंद्रप्रस्थ अपोलो हास्पिटल के रीनल ट्रांसप्लांट सर्जन डा सुदीप गुलेरिया के अनुसार शुरुआती अवस्था में किडनी रोगों को पहचानना मुश्किल होता है, इस वजह से अक्सर मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिलता। 30 वर्ष से कम उम्र के युवाओं में पालीसिस्टिक किडनी सिंड्रोम के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि, यह एक आनुवंशिक किडनी रोग है। इसके अलावा डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मामले में उपचार में देरी भी किडनी से जुड़े रोगों का कारण है। 60 फीसद युवा मरीजों में किडनी रोगों का निदान अंतिम अवस्था में होता है और ऐसे में किडनी प्रत्यारोपण या डायलिसिस का विकल्प ही शेष रह जाता है। वहीं, नेफ्रोलाजी विभाग के चिकित्सक संजीव जसूजा ने बताया कि अनियंत्रित मधुमेह व हाइपरटेंशन किडनी रोगों की बड़ी वजह हैं। भारत में हर तीन में से एक व्यक्ति हाइपरटेंशन से पीडित है और 60 फीसदी से अधिक लोग इसके बारे में जानते तक नहीं हैं। इसके अलावा, जो लोग अपनी स्थिति के बारे में जानते हैं, उनमें से केवल 50 फीसद ही दवाइयां लेते हैं।

जरूर लगवाएं कोरोना टीका

मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल साकेत के नेफ्रोलाजी विभाग की वरिष्ठ निदेशक डॉ. अलका भसीन का कहना है कि किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले लोगों में कोरोना से मृत्युदर अन्य लोगों की तुलना में पांच गुना ज्यादा है। लिहाजा, किडनी के रोगों से पीड़ितों को कोरोना की वैक्सीन जरूर लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि इस बार 11 मार्च को वर्ल्ड किडनी डे-2021 की थीम ‘किडनी रोग के साथ अच्छी तरह से रहना है’ रखी गई है।

उधर, जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय में किए गए शोध में नीरीकेएफटी नाम की आयुर्वेदिक दवा को किडनी से जुड़ी बीमारियों के इलाज में असरदार पाया गया है। फार्मास्युटिकल बायोलाजी में प्रकाशित इस शोध के अनुसार इसमें पाए जाने वाले एंटीआक्सीडेंट किडनी की कोशिकाओं में मौजूद विषाक्त द्रव्यों जैसे प्रतिक्रियाशील आक्सीजन प्रजातियों (आरओएस) के प्रभाव को तेजी से कम करते हैं।

कोशिकाओं में मौजूद विषैले द्रव्यों के बाहर निकलने के कारण न सिर्फ किडनी फेल होने की आशंका कम हो जाती है, बल्कि धीरे-धीरे किडनी की कोशिकाएं स्वस्थ भी होने लगती हैं। दवा से किडनी के मरीज को डायलिसिस पर जाने से बचाया जा सकता है।

शोध में पाया गया कि जिस समूह को नीरीकेएफटी दी जा रही थी उनमें आरओएस की मात्र तेजी से कम हो गई और साथ ही एंटीआक्सीडेंट एंजाइम का स्तर नियंत्रित रहा। नीरीकेएफटी को पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, पत्थरूपरा, पाषाणभेद, कासनी और पलाश के फूलों से तैयार किया गया है।

 

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