पंचायत चुनाव: हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने आरक्षण प्रक्रिया पर लगाई रोक

लखनऊ :  इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश शासन ने सूबे में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर चल रही आरक्षण प्रकिया पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस संबंध में शुक्रवार देर शाम प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भी भेजा है। अपर मुख्य सचिव ने पत्र के माध्यम से हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए जिलाधिकारियों से कहा है कि अग्रिम आदेशों तक पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण व आवंटन की कार्यवाही को अंतिम रूप न दिया जाए। इस पत्र की प्रतियां निदेशक पंचायती राज, सभी जिलों के मुख्य विकास अधिकारी, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत और जिला पंचायत राज अधिकारियों को भी भेजी गई है।

दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को ही पंचायत चुनाव में सीटों के आरक्षण और आवंटन को अंतिम रूप देने पर 15 मार्च तक रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग और प्रदेश सरकार समेत सभी पक्षकारों को निर्देश दिया कि पंचायत चुनाव संबंधी वर्ष 1999 के नियम 4 के तहत सीटों पर दिए जाने वाले आरक्षण को 15 मार्च तक अंतिम रूप नहीं देंगे। न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी व न्यायमूर्ति मनीष माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश अजय कुमार की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण संबंधी 11 फरवरी, 2021 के शासनादेश को कोर्ट में चुनौती दी गई है। साथ ही आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार मनमाने तरीके से आरक्षण प्रकिया पूरी कर रही है। अदालत ने आरक्षण प्रक्रिया को रोकते हुए 15 मार्च को राज्य सरकार और चुनाव आयोग से जवाब दाखिल करने का भी आदेश दिया है।

इसके बाद अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में आरक्षण की अग्रिम प्रक्रिया रोकने का आदेश सभी जिलाधिकारियों को जारी किया। गौरतलब है कि प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए 75 जिला पंचायत अध्यक्ष, 826 ब्लाक प्रमुख, 58,194 ग्राम प्रधान, 3051 जिला पंचायतों के वार्ड सदस्य, 75855 ब्लाकों के वार्ड सदस्य और 7,31,813 ग्राम पंचायतों के वार्ड सदस्यों का चुनाव होना है। इसके लिए प्रदेश भर में आरक्षण की प्रक्रिया जारी है। सभी पदों के लिए अंतरिम आरक्षण आवंटन के बाद आठ मार्च तक आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं। शुक्रवार तक आपत्तियों का निस्तारण कर 15 मार्च तक आरक्षण आवंटन की अंतिम सूचियां जिलों में प्रकाशित की जानी थीं। इस बीच हाईकोर्ट के आदेश के चलते पूरी प्रकिया को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है।

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