विज्ञापनों के लिए सभी पार्टियों को समान अवसर मुहैया कराएं

आयोग ने चुनावी राज्यों के सचिवों को जारी किया आदेश

नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने असम, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी के मुख्य सचिव और मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है। आयोग ने इस पांचों राज्यों के शीर्ष अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह ‘चुनाव-संबंधित विज्ञापन के लिए विज्ञापन स्थानों तक पहुंच के समान अवसर’ मुहैया कराएं। आयोग ने लिखा कि उन्हें ऐसी जानकारी मिली है कि कुछ स्थानों पर विज्ञापन में कुछ पार्टियों का एकाधिकार दिखाई पड़ रहा है, आयोग ने कहा है कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर प्रचार सामग्री मसलन कि पोस्टर, स्लोगन, कटआउट चिपकाने, होर्डिंग या बैनर आदि लगाने पर किसी पार्टी का एकाधिकार दिखाई देता है तो ये पूरी तरह से गलत है।

सभी पार्टियों को इस संबंध में समान अवसर दिए जाने चाहिए। इससे पहले चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल, केरल, असम, तमिलनाडु और पुडुचेरी में आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर आवंटित प्रसारण समय कोविड-19 महामारी और गैर-संपर्क आधारित प्रचार अभियान की प्रासंगिकता बढ़ने के मद्देनजर दोगुना कर दिया है आयोग ने पिछले साल के अंत में हुए बिहार विधानसभा चुनावों के लिए इसी तरह का निर्णय लिया था।

आयोग ने प्रसारण का समय बढ़ाया

चुनाव आयोग ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी और गैर-संपर्क आधारित प्रचार की बढ़ी प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने प्रसार भारती निगम के साथ परामर्श से प्रत्येक राष्ट्रीय पार्टी तथा असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय पार्टी को ‘विधानसभा चुनाव के लिए’’ दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर आवंटित प्रसारण समय को दोगुना करने का निर्णय लिया है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के चुनावों के दौरान प्रत्येक राष्ट्रीय पार्टी और असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के मान्यताप्राप्त क्षेत्रीय दल को दूरदर्शन और आकाशवाणी नेटवर्क के क्षेत्रीय केंद्रों पर समान रूप से 90 मिनट का आधार समय दिया जाएगा।

पार्टी को आवंटित किया जाने वाला अतिरिक्त समय इन राज्यों में हुए पिछले विधानसभा चुनावों और केंद्र शासित प्रदेश के 2016 में पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर तय किया गया है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव के समय सरकार के स्वामित्व वाले टेलीविजन और रेडियो के मुफ्त उपयोग के माध्यम से मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सरकारी वित्त पोषण की नई पहल शुरू की गई थी। इस योजना को बाद में 1998 के बाद सभी विधानसभा चुनावों और 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा चुनावों में बाद में बढ़ाया गया था।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com