भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत: श्रीगणेश के पूजन से दूर होते हैं सभी दुख

श्रीगणेश के संकष्टी चतुर्थी पर व्रत और पूजन करने से भक्त की मनोकामना पूर्ति होती है. यह व्रत विशेष तौर पर माताएं अपनी संतान की उन्नति के लिए करती हैं.

भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी बुधवार, मार्च 31, 2021 को

संकष्टी के दिन चन्द्रोदय – 09:39 पी एम
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – मार्च 31, 2021 को 02:06 पी एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – अप्रैल 01, 2021 को 10:59 ए एम बजे

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि-
संकष्टी चतुर्थी को प्रातःकाल उठकर स्नानादि करने के भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. भगवान गणेश की पूजा करें और गणेश जी को बूंदी के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं. संकष्टी चतुर्थी व्रत के महातम्य की कथा पढ़े या श्रवण (सुने) करें. रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें.

संकष्टी चतुर्थी की प्रचलित कथा है कि एक बार शिव पार्वती नदी किनारे विहार कर रहे थे, उन्हें चौपड़ खेलने की इच्छा हुई. लेकिन हार जीत का फैसला देने वाला कोई नहीं था. दोनों ने एक मिट्टी का पुतला बनाया और उसमें जान फूंक दी. चौपड़ के खेल में माता पार्वती हर बार शंकर जी से जीत रहीं थी. उसी समय भूल वश पुतले से बने बालक ने एक खेल में माता को हारा हुआ घोषित कर दिया, इससे क्रुद्ध माता पार्वती ने उसे लंगड़े होने का श्राप दे दिया. बालक ने बहुत अनुनय विनय की तो माता ने कहा कि वह श्राप तो वापस नहीं ले सकती हैं. इस नदी पर संकष्टी को कुछ कन्याएं व्रत करने आती हैं. तुम चाहो तो उनसे व्रत पूछ कर अपना उद्धार कर सकते हो. बालक ने संकष्टी का व्रत किया और भगवान गणेश के आशीर्वाद से वापस कैलाश पहुँच गया. वह शाप मुक्त हो चुका था.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com