एम्स के बाहर तीमारदार खुले में रहने को मजबूर, परेशानी के बीच हो रहा इलाज का इंतजार

एम्स के बाहर रहने वाले तीमारदारों और मरीजों के लिए शीत लहर से बचाने के लिए लगाए गए शेल्टर होम हटा दिए गए हैं। शेल्टर होम हटाए जाने से अस्पताल के बाहर रहने वाले लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं, वहीं आश्रय गृहों का संचालन करने वाले एनजीओ स्पाईएम के कर्मचारियों का कहना है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है, जिसमें सर्दी में लगाए गए शेल्टर होम को 15 मार्च तक हटा दिया जाता है।

एम्स के बाहर बने थे करीब 11 शेल्टर होम

दिल्ली सरकार के आश्रय सुधार बोर्ड की ओर से शीतलहर से बचाने के लिए शेल्टर होम बनाए गए। एम्स के बाहर करीब 11 शेल्टर होम बनाए गए थे, जिन्हें अब हटा लिया गया है। बिहार के मुजफ्फरनगर से बेटी का इलाज कराने के लिए दो माह पहले आई रूपा ने बताया कि हर 15 दिन में डाक्टर देखने के लिए बुलाते हैं। ऐसे में घर जाना आसान नहीं था। इसलिए बाहर बने आश्रय घरों में रह रहे थे, पर अब खुले में रहने से अच्छा है कि वे अपने घर वापस चले जाएं।

त्योहार के कारण लेट से हटा आश्रय गृह

वहीं उत्तराखंड के टिहरी से आए कुंदन अपने 12 वर्षीय बेटे को लेकर रह रहे थे, लेकिन अब उन्हें अपने घर वापस जाना होगा। लोगों ने बताया कि 27 मार्च को ही लोग आश्रय गृह हटाने के लिए आए थे, लेकिन त्योहार की वजह से कर्मचारियों ने नहीं हटाया था। एक अप्रैल को सभी शेल्टर होम को हटा दिया गया है। शेल्टर होम में रहने वाले परिवारों का कहना है कि एम्स के बाहर स्थायी तौर पर शेल्टर होम का निर्माण किया जाना चाहिए।

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