कोरोनाकाल : नाउम्मीदों में सिद्धार्थ ने मुहैया कराई ‘ओ’ निगेटिव ब्लड

ब्लड बैंकों में निगेटिव ग्रुप के ब्लड की उपलब्धता लगभग खत्म, तीन रक्तदान वीर शिवांस जायसवाल, शेखर जायसवाल व नीरज जायसवाल ने ओ पाॅजिटिव ब्लड कैंसर हास्पिटल में दान किया, सिद्धार्थ मित्तल के इस अकल्पनीय प्रयास की हर तरफ हो रही सराहना, हर कोई ब्लड बैंकों में निगेटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों से आगे आकर रक्तदान करने की अपील

-सुरेश गांधी

वाराणसी। कोरोनाकाल में ब्लड बैंकों में न सिर्फ खून की कमी हुई है बल्कि निगेटिव ग्रुप का रक्त नहीं के बराबर उपलब्ध है। यह स्थिति किसी की जान पर भी भारी पड़ सकती है। सोमवार को कुछ ऐसा ही हुआ। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर हास्पिटल में इलाज के लिए भर्ती उमेश चंद्र को ओ निगेटिव ब्लड की इमरजेंसी जरुरत पड़ी। सोशल मीडिया से लेकर शहर के तकरीबन हर ब्लड बैंकों को ओ निगेटिव के लिए खंगाला गया। यहां तक कि स्वयंसेवी संगठनों से लगायत रक्तदानवीरों से भी गुहार लगाई गयी। लेकिन ओ निगेटिव ब्लड कहीं नहीं मिला। अंततः नाउम्मीदों के बीच महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर हास्पिटल के ब्लड बैंक इंचार्ज सिद्धार्थ मित्तल ने अपने निजी स्रोतों से ओ निगेटि ब्लड मुहैया कराई। इसके बदले में तीन रक्तदान वीर शिवांस जायसवाल, शेखर जायसवाल व नीरज जायसवाल ने ओ पाॅजिटिव ब्लड हास्पिटल में दान किया। इसके बाद उमेश चंद्र की कैंसर के कुशल चिकित्सकों ने आपरेशन प्रक्रिया शुरु की। सिद्धार्थ के इस अकल्पनीय प्रयास की हर तरफ हर कोई प्रसंशा कर रहा है और ब्लड बैंकों में निगेटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों से आगे आकर रक्तदान करने की अपील किया।

बता दें, कोरोना के कारण पिछले तीन माह में गिने-चुने लोगों ने ही रक्तदान किया। ऐसे में ब्लड बैंकों में खून का सीमित स्टॉक ही बचा है। जिससे मरीजों को दिक्कत उठानी पड़ रही है। सबसे बड़ी समस्या निगेटिव ग्रुप के ब्लड की कमी से खड़ी हुई है। अधिकतर ब्लड बैंकों में ए-निगेटिव, बी-निगेटिव, एबी-निगेटिव और ओ-निगेटिव ब्लड बामुश्किल मिल पा रहा है। यहा जानना जरूरी है कि निगेटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों की संख्या बहुत कम होती है। एक आकलन के अनुसार 84 से 85 प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव और 15 से 16 प्रतिशत का निगेटिव होता है। निगेटिव ग्रुप वालों की संख्या कम होने के चलते खून की आवश्यकता भी कम ही पड़ती है। लेकिन, आपात स्थिति में रक्त न मिलने से स्थिति भयावह हो जाती है। लिहाजा लोगों से अपील की जा रही है कि बढ़-चढ़कर रक्तदान करें।

कैंसर हास्पिटल के ब्लड बैंक इंचार्ज सिद्धार्थ ने बताया कि अस्पताल में आमतौर पर पर्याप्त यूनिट ब्लड रहता है। लेकिन, ए-निगेटिव, बी-निगेटिव और ओ-निगेटिव की इस समय अभाव है। ओ निगेटिव उपलब्ध नहीं था। लेकिन मरीज की जरुरत के हिसाब से अपने निजी स्रोतो से ओ निगेटिव ब्लड मुहैया कराई गयी। इसके बदले में रक्तदाता शिवांस जायसवाल, शेखर जायसवाल व नीरज जायसवाल ने ओ पाॅजिटिव ब्लड हास्पिटल में दान किया। यहां जिक्र करना जरुरी है कि वाराणसी के लगभग सभी ब्लड बैंकों ने ओनिगेटि की डिमांड पर हाथ खड़े कर दिए थे। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि हाल ही में इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से रक्तदान किया है। जिसमें निगेटिव ग्रूप के ब्लड ज्यादा थे। लेकिन जब मरीजों को ब्लड की जरुरत पड़ती है तो ब्लड बैंक बदले में ब्लड डोनेट करने के बावजूद अक्सर देने से इंकार करते है। उनका आरोप है कि शहर के अधिकांश ब्लड बैंक संचालक जरुरतमंदों के बीच ब्लड की कालाबाजारी करते है और अधिक दाम वसूलते है। निगेटिव ब्लड ग्रुप की बात करें तो अक्सर न होने की बात कहीं जाती है।

हालांकि ब्लड बैंकों में निगेटिव ग्रुप ब्लड न होने के बाबत संचालकों का कहना है कि कोरोना के चलते इक्का-दुक्का लोग ही रक्तदान के लिए पहुंच रहे हैं। निगेटिव ग्रुप के ब्लड की उपलब्धता एक-दो यूनिट तक ही सीमित है। इस वक्त स्वैच्छिक रक्तदान बहुत कम हो रहा है। हालांकि, दुर्घटनाएं और सर्जरी कम होने के कारण रक्त की मांग भी कम हुई है। कोरोना महामारी के बीच लोग रक्तदान करने से कतरा रहे हैं। यही वजह है कि अगर किसी मरीज को ब्लड के निगेटिव चार ग्रुप में से किसी भी ग्रुप का ब्लड चाहिए तो तीमारदारों को दूसरे अस्पतालों या फिर दूसरे जिलों में दौड़ लगानी पड़ सकती है, क्योंकि लॉकडाउन के वक्त में ब्लड बैंक में खून की कमी हो गई है। आशंका जताई गयी है कि अगर किसी विशेष परिस्थिति में ज्यादा लोगों को खून की आवश्यकता पड़ गई तो तीमारदारों को भारी दिक्कत हो सकती है। लिहाजा लोगों से अपील की जा रही है कि वे बढ़चढ़कर रक्तदान करें, ताकि जरूरत पड़ने पर दूसरों की जान बचाई जा सके।

रक्तदान से पवित्र होता है शरीर

धन पवित्र सेवा करि, तन पवित्र करि रक्तदान, मन पवित्र हरि भजन करि, अंत समय नेत्रदान। इसमें भी रक्तदान को महादान कहा गया है, क्योंकि यह ऐसा दान है जो जरूरतमंद की दुआएं दिलाने के साथ ही, शरीर के लिए भी फायदेमंद होता है। जीवन दीप हाॅपिटल के सर्जन डॉ. एके गुप्ता का कहना है कि रक्तदान करने से सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं बल्कि उस एक यूनिट रक्त से चार लोगों की जान बचाई जा सकती है, क्योंकि जब एक यूनिट ब्लड के चार हिस्से कर दिए जाएं तो रेड ब्लड सेल और व्हाइट ब्लड सेल अलग-अलग हो जाएंगे। प्लाज्मा भी अलग हो जाएगा, इसके बाद वह ब्लड चार लोगों के काम आ सकता है। लगातार रक्तदान करने से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा दूर रहता है। रक्तदान से खून में कोलेस्ट्रॉल जमा नहीं होता।

 

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