
अपोलो अस्पताल के मैमून बादशा ने एक समाचार वेबसाइट को बुधवार को बताया कि सीसीटीवी रिकॉर्डिंग 30 दिनों के बाद ऑटोमैटिकली ओवरराइट हो जाती हैं। यानि कि डिलीट हो जाती हैं।
अस्पताल ने आयोग से कहा कि वह फुटेज देने में असमर्थ हैं। इससे पहले आयोग ने अपोलो अस्पताल को अस्पताल के भीतर के विभिन्न क्षेत्रों के सीसीटीवी फुटेज जमा करने को कहा था। बादशा का कहना है कि अस्पताल में यह प्रक्रिया है कि केवल 30 दिनों तक की ही सीसीटीवी फुटेज जमा की जाती हैं। इसके बाद नई वीडियो रिकॉर्ड होने लगती हैं।
गौरतलब है कि मामले में गवाहों के रूप में जिनसे पूछताछ की गई है उनमें सरकारी और अपोलो अस्पताल के दर्जनों डॉक्टर, पूर्व और मौजूदा सरकारी अफसर तथा पुलिस अधिकारी शामिल हैं। तमिलनाडु सरकार ने सितंबर, 2017 में जांच आयोग अधिनियम 1952 के तहत इस मामले की जांच के लिए पैनल का गठन किया था।
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