
कानपुर। विजयदशमी के पर्व पर जहां बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए पूरे देश में रावण का पुतला दहन किया जाता है तो वहीं कानपुर में ज्ञान प्राप्ति के लिए उत्तर भारत के इकलौते प्राचीन रावण मंदिर में पूजा की जाती है। यह मंदिर करीब 130 साल पुराना है। इस दशानन मंदिर के द्वार साल में विजयदशमी पर ही खुलते हैं। दशहरे के दिन आज यहां पर पूरे विधि-विधान से रावण की पूजा-अर्चना की गई।
ब्रह्म मुहूर्त में खोले गये मंदिर के पट
मंदिर के पुजारी आचार्य जी बताते हैं कि विजयदशमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर खोला गया। इसके बाद गंगाजल और दूध से रावण की मूर्ति को स्नान कराया गया। फूलों से श्रृंगार करने के बाद रावण स्तुति और आरती भी की गई। दिनभर पूजा-पाठ करने के बाद शाम को द्वार बंद कर दिया जाएगा।
1890 में हुई थी स्थापना
मंदिर का इतिहास लगभग 131 साल पुराना है। मंदिर के पुजारी का कहना है 1890 में महाराजा गुरु प्रसाद शुक्ल ने इसकी स्थापना की थी। जब यह मंदिर बनाया गया था, तब इसका नाम शिवालय रखा गया था। साल में विजयदशमी के दिन खुलने वाले रावण के मंदिर में हजारों श्रद्धालु दर्शन करने को पहुंच रहे हैं। मान्यता है कि रावण के दर्शन और पूजा अर्चना करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
Shaurya Times | शौर्य टाइम्स Latest Hindi News Portal