सऊदी अरब के इतिहास में पहली बार एक साथ 81 लोगों को सजा-ए-मौत

रियाद। सऊदी अरब में एक साथ 81 लोगों को सजा-ए-मौत दी गयी है। मौत की सजा पाने वालों में यमन के सात और सीरिया का एक नागरिक भी शामिल है। बताया गया कि इन्हें चरमपंथी गतिविधियों सहित एक से ज्यादा जघन्य अपराधों के लिए मौत की सजा दी गयी है।

सऊदी अरब की स्थानीय मीडिया के मुताबिक इन सभी को जघन्य अपराधों में दोषी पाया गया। इनके ऊपर निर्दोष बच्चों, महिलाओं-पुरुषों और अधिकारियों की हत्या का इल्जाम था। इनमें से कुछ पर कथित इस्लामी चरमपंथी समूह इस्लामिक स्टेट, अल-क़ायदा और यमन के हूती विद्रोही समूहों से जुड़े होने के आरोप था।

यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ है जब दुनिया का पूरा ध्यान यूक्रेन-रूस के युद्ध पर केंद्रित है। कोरोना वायरस महामारी के दौरान सऊदी अरब में मौत की सजा के मामलों की संख्या में कमी आई थी, हालांकि किंग सलमान और उनके बेटे, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के शासनकाल में विभिन्न मामलों के दोषियों का सिर कलम करना जारी रहा था।

सऊदी अरब के इतिहास में यह पहला मौका है जब 81 दोषियों को एक साथ फांसी दी गई। इससे पूर्व, जनवरी 1980 में मक्का की बड़ी मस्जिद से संबंधित बंधक प्रकरण के दोषी ठहराए गए 63 चरमपंथियों को मृत्युदंड दिया गया था।

मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इनमें से कई आरोपियों को निष्पक्ष तौर पर क़ानूनन अपनी दलील का मौक़ा भी नहीं दिया गया। हालांकि सऊदी अरब की सरकार ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है।

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