क्रोनिक किडनी डिजीज में कुपोषण एक बड़ी चुनौती : डा. अनीता सक्सेना

लखनऊ। क्रोनिक किडनी डिजीज में कुपोषण एक बड़ी चुनौती है। कुपोषण का मुख्य कारण यूरीमिया (खून में यूरिया का उच्च स्तर) होता है, जिसके कारण रोगी को भूख नहीं लगती। ऐसा रोगी खाने में सक्षम नहीं होता, इसलिए कुपोषित रहता है। यह जानकारी संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रोफ़ेसर डा. अनीता सक्सेना ने दी।

डा. अनीता सक्सेना ने बताया कि संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान का नेफ्रोलॉजी विभाग 22 और 23 अप्रैल 2022 को रेनेसां होटल, गोमतीनगर, लखनऊ में “8वें एडवांस कोर्स इन रीनल न्यूट्रिशन एंड मेटाबॉलिज्म” का आयोजन कर रहा है। इसमें भारत, नेपाल, बांग्लादेश और इंग्लैंड के प्रतिनिधि भाग लेंगे।

रीनल न्यूट्रीशन एंड मेटाबॉलिज्म सोसायटी की स्थापना 2014 में हुई थी। यह संस्था “क्रोनिक किडनी रोग के रोगियों में कुपोषण की रोकथाम” पर जागरूकता फैलाने के लिए कार्य करती है।

पाठ्यक्रम का आयोजन चिकित्सकों, गुर्दा रोग विशेषज्ञों और आहार विशेषज्ञों को गुर्दे के रोगियों में कुपोषण का कुशलता से पता लगाने व समुचित पोषण के द्वारा कुपोषण को आगे बढ़ने से रोकने के लिए शिक्षित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। इस पाठ्यक्रम द्वारा रोगी के गुर्दे की स्थिति के अनुसार विशिष्ट पोषण प्रबंधन पर प्रतिनिधियों को सूचित और शिक्षित किया जायेगा।

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