शांत और बहुत ही खूबसूरत दार्जिलिंग में अकेले आकर भी कर सकते हैं जमकर मस्ती

दुनिया में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां दोस्तों और फैमिली संग जाकर ही मौज-मस्ती की जा सकती है तो वहीं कुछ एक जगहों पर शांति से, अकेले में बैठकर सुकून के पल बिताने से बेहतरीन कुछ हो ही नहीं सकता। तो अगर आप भी सोलो ट्रैवलर या इसकी शुरूआत कर रहे हैं और नई-नई जगहों को एक्सप्लोर करने का शौक रखते हैं तो दार्जिलिंग जाने का प्लान बनाएं। जो महज घूमने-फिरने के लिहाज से ही नहीं सुरक्षा के मामले में भी काफी अच्छी जगह है। तो आइए जानते हैं दार्जिलिंग शहर की और भी बाकी खूबियों के बारे में।

दुनिया में कुछ जगहें ऐसी हैं जहां दोस्तों और फैमिली संग जाकर ही मौज-मस्ती की जा सकती है तो वहीं कुछ एक जगहों पर शांति से, अकेले में बैठकर सुकून के पल बिताने से बेहतरीन कुछ हो ही नहीं सकता। तो अगर आप भी सोलो ट्रैवलर या इसकी शुरूआत कर रहे हैं और नई-नई जगहों को एक्सप्लोर करने का शौक रखते हैं तो दार्जिलिंग जाने का प्लान बनाएं। जो महज घूमने-फिरने के लिहाज से ही नहीं सुरक्षा के मामले में भी काफी अच्छी जगह है। तो आइए जानते हैं दार्जिलिंग शहर की और भी बाकी खूबियों के बारे में।    टाइगर हिल्स  टाइगर हिल्स पर उगते सूरज के खूबसूरत नज़ारे को देखे बगैर आपकी दार्जिलिंग यात्रा अधूरी है। सूरज की किरणें जब बर्फ से ढ़के कंचनजंघा की चोटियों पर पड़ती तो इसे देखना वाकई अद्भुत होता है।  दुआर- चाय के बागान  पूरे दुनिया में दार्जिलिंग खासतौर से अपने चाय के बागानों के लिए मशहूर है। तो इस अनोखी और खूबसूरत जगह को देखना भी तो बनता है। दुआर के आसपास फैली चाय की खुशबू और चारों तरफ की हरियाली को किताबों, फोटोज़ और फिल्मों से अलग आप यहां आकर साक्षात देख सकते हैं। जो यकीनन बहुत यादगार होगा।  कलिम्पोंग- धार्मिक जगह  कलिम्पोंग में Zang Dhok Palri Phodang खूबसूरत और बहुत ही मशहूर मोनेस्ट्री है। जिसमें उन दुर्लभ धर्मग्रंथों को देखा जा सकता है जो 1959 में तिब्बत से इंडिया लाए गए थे। यहां आकर आप सुकून से कुछ देर बैठकर मेडिटेशन कर सकते हैं।   पीस पेगोडा- मंदिर  भारत के कुछ 6 शांति स्तूपों में से एक है दार्जिलिंग का पीस पेगोडा। जिसकी स्थापना महात्मा गांधी के मित्र फूजी गुरु ने की थी। मंदिर 1992 में आम लोगों के लिए खोला गया था। जहां आकर आप कंचनजंघा के साथ पूरे दार्जिलिंग को आंखों के साथ कैमरे में कैद कर सकते हैं।  तीस्ता रिवर रॉफ्टिंग के अनोखे एक्सपीरियंस के लिए दार्जिलिंग आएं। ट्रेन्ड रॉफ्टर्स के साथ आप इस एडवेंचर एक्टिविटीज को कर सकते हैं जमकर एन्जॉय।  संदक्फू- ट्रैकिंग डेस्टिनेशन  ट्रैकिंग के शौकिनों को ये जगह बहुत पंसद आएगी। पश्चिम बंगाल के इस सबसे ऊंचे प्वाइंट से आप माउंट एवरेस्ट और कंचनजंघा को आसानी से देख सकते हैं।  ट्राय ट्रेन चाय के बागानों के अलावा दार्जिलिंग एक और खास चीज़ के लिए जाना जाता है वो है हिमालयन रेलवे, जिसे 1919 में यूनेस्को की तरफ से विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिल चुका है। इस ट्रेन का सफर बहुत ही रोमांचक होता है। तो इसे भी अपने मस्ट गो डेस्टिनेशन लिस्ट में जरूर शामिल करें।  हिमालयन माउंटेयनरिंग इंस्टीट्यूट  ये इंस्टीट्यूट दार्जिलिंग में जवाहर पर्वत पर बना हुआ है। जहां माउंटेयनरिंग से लेकर एडवेंचर कई तरह के कोर्स अवेलेबल हैं। जिनकी अवधि 15 दिनों से लेकर एक महीने तक की होती है। लेकिन अगर आप महज घूमने-फिरने आएं हैं तो भी आप यहां आकर माउंटेयनरिंग का मजा ले सकते हैं।  कैसे पहुंचे  हवाई यात्रा- बागडोगरा, यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है जहां से दार्जिलिंग की दूरी 90 किमी है जिसे आसानी से 2 घंटे में कवर किया जा सकता है।  रेल यात्रा- न्यू जलपाईगुड़ी नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। जहां के लिए लगभग सभी बड़े शहरों से ट्रेनें अवेलेबल हैं। यहां अवेलेबल बस और टैक्सी से दार्जिलिंग पहुंचा जा सकता है।  सड़क यात्रा- दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी से कनेक्ट है जहां आप अपनी कार या टैक्सी बुक करके पहुंच सकते हैं।

टाइगर हिल्स

टाइगर हिल्स पर उगते सूरज के खूबसूरत नज़ारे को देखे बगैर आपकी दार्जिलिंग यात्रा अधूरी है। सूरज की किरणें जब बर्फ से ढ़के कंचनजंघा की चोटियों पर पड़ती तो इसे देखना वाकई अद्भुत होता है।

दुआर- चाय के बागान

पूरे दुनिया में दार्जिलिंग खासतौर से अपने चाय के बागानों के लिए मशहूर है। तो इस अनोखी और खूबसूरत जगह को देखना भी तो बनता है। दुआर के आसपास फैली चाय की खुशबू और चारों तरफ की हरियाली को किताबों, फोटोज़ और फिल्मों से अलग आप यहां आकर साक्षात देख सकते हैं। जो यकीनन बहुत यादगार होगा।

कलिम्पोंग- धार्मिक जगह

कलिम्पोंग में Zang Dhok Palri Phodang खूबसूरत और बहुत ही मशहूर मोनेस्ट्री है। जिसमें उन दुर्लभ धर्मग्रंथों को देखा जा सकता है जो 1959 में तिब्बत से इंडिया लाए गए थे। यहां आकर आप सुकून से कुछ देर बैठकर मेडिटेशन कर सकते हैं। 

पीस पेगोडा- मंदिर

भारत के कुछ 6 शांति स्तूपों में से एक है दार्जिलिंग का पीस पेगोडा। जिसकी स्थापना महात्मा गांधी के मित्र फूजी गुरु ने की थी। मंदिर 1992 में आम लोगों के लिए खोला गया था। जहां आकर आप कंचनजंघा के साथ पूरे दार्जिलिंग को आंखों के साथ कैमरे में कैद कर सकते हैं।

तीस्ता

रिवर रॉफ्टिंग के अनोखे एक्सपीरियंस के लिए दार्जिलिंग आएं। ट्रेन्ड रॉफ्टर्स के साथ आप इस एडवेंचर एक्टिविटीज को कर सकते हैं जमकर एन्जॉय।

संदक्फू- ट्रैकिंग डेस्टिनेशन

ट्रैकिंग के शौकिनों को ये जगह बहुत पंसद आएगी। पश्चिम बंगाल के इस सबसे ऊंचे प्वाइंट से आप माउंट एवरेस्ट और कंचनजंघा को आसानी से देख सकते हैं।

ट्राय ट्रेन

चाय के बागानों के अलावा दार्जिलिंग एक और खास चीज़ के लिए जाना जाता है वो है हिमालयन रेलवे, जिसे 1919 में यूनेस्को की तरफ से विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिल चुका है। इस ट्रेन का सफर बहुत ही रोमांचक होता है। तो इसे भी अपने मस्ट गो डेस्टिनेशन लिस्ट में जरूर शामिल करें।

हिमालयन माउंटेयनरिंग इंस्टीट्यूट

ये इंस्टीट्यूट दार्जिलिंग में जवाहर पर्वत पर बना हुआ है। जहां माउंटेयनरिंग से लेकर एडवेंचर कई तरह के कोर्स अवेलेबल हैं। जिनकी अवधि 15 दिनों से लेकर एक महीने तक की होती है। लेकिन अगर आप महज घूमने-फिरने आएं हैं तो भी आप यहां आकर माउंटेयनरिंग का मजा ले सकते हैं।

कैसे पहुंचे

हवाई यात्रा- बागडोगरा, यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है जहां से दार्जिलिंग की दूरी 90 किमी है जिसे आसानी से 2 घंटे में कवर किया जा सकता है।

रेल यात्रा- न्यू जलपाईगुड़ी नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। जहां के लिए लगभग सभी बड़े शहरों से ट्रेनें अवेलेबल हैं। यहां अवेलेबल बस और टैक्सी से दार्जिलिंग पहुंचा जा सकता है।

सड़क यात्रा- दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी से कनेक्ट है जहां आप अपनी कार या टैक्सी बुक करके पहुंच सकते हैं।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com