
साल 2007 में आतंकी घटनाओं की रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश में गठित की गई यूपी एटीएस ने बीते 15 साल में हूजी, लश्कर, सिमी के साथ-साथ आईएसआईएस के लिए जासूसी करने वाले तमाम लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के दौरान हुई पूछताछ और जांच में कई ऐसे नाम सामने आए, जिनकी भूमिका तो बहुत अहम मानी गई, लेकिन या तो उन अनजान नामों पर एटीएस को आगे कोई जानकारी नहीं मिली या आगे ट्रेल नहीं मिली, या फिर वो गुमनाम हो गए।
यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में आतंकी घटनाओं की जांच करने वाली एटीएस (UP ATS) बीते 14 सालों के उन नामों को खंगालेगी, जिनके बारे में गिरफ्तारी और जांच के दौरान जानकारी मिली थी। अब एटीएस नए सिरे से उनकी तलाश करेगी, जिनका जिक्र जांच और विवेचना में तो हुआ, लेकिन कभी सामने नहीं आ पाए।
पिछले 15 वर्षों में 14 सालों में एटीएस ने जिस तरह से उत्तर प्रदेश में हर आतंकी संगठन और उसके मददगारों पर कार्रवाई की है, उसमें जो नाम सामने आए, उनका भी पता लगना बेहद जरूरी है। जिस तरह से बीते कुछ सालों में आतंकी संगठनों ने सीमा पार से नौजवानों को बरगला कर घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश की है, उसमें संभव है कि देश और प्रदेश का एक ही नौजवान कई मॉड्यूल से अलग-अलग नामों से जुड़ा हो।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2007 में आतंकवादी घटनाओं से निपटने हेतु आतंकवाद निरोधक दस्ता का गठन किया गया था । आतंकवाद निरोधक दस्ता (ATS) उत्तर प्रदेश पुलिस की एक विशिष्ट इकाई के रूप में वर्ष 2007 से क्रियाशील है । पूर्व में एटीएस मुख्यालय 1, विनीतखण्ड गोमतीनगर लखनऊ में स्थापित था । दिनांक 19 नवंबर 2016 को उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ता का मुख्यालय अपने नए भवन अमौसी रेलवे स्टेशन रोड, अनौरा लखनऊ, उत्तर प्रदेश में स्थापित हो गया है ।
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