कांग्रेस को मिली है सिर्फ एक बार जीत, बागली सीट को माना जाता है बीजेपी का गढ़.

मध्य प्रदेश की बागली विधानसभा सीट देवास जिले में आती है. 2008 से यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इस क्षेत्र में 60 फीसदी आदिवासी रहते हैं. यहां पर कुल  2 लाख 18 हजार 531 मतदाता हैं. यह सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ है. राज्य के पूर्व सीएम कैलाश जोशी 9 बार यहां से विधायक रह चुके हैं.

इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस केवल एक बार बीजेपी को हरा पाई है. कांग्रेस को साल 1998 में जीत मिली थी. 2013 के चुनाव में बीजेपी के चंपालाल देवदा ने कांग्रेस के तेर सिंह देवदा को 25 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था. 2008 के चुनाव में भी बीजेपी के चंपालाल देवड़ा की जीत मिली थी. उन्होंने कांग्रेस के कमल वास्कले को 10 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था.

चुनाव नजदीक है तो फिर से बागली का सियासी माहौल गरमाने लगा है. नेता टिकट की आस में फिर से सक्रिय हो गए हैं.  बीजेपी की बात की जाए तो वर्तमान विधायक चंपालाल देवड़ा एक बार फिर टिकट के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं. वहीं रीना सोलंकी का भी नाम टिकट की रेस में आगे चल रहा है. कांग्रेस की ओर से  कमल मसकोले को टिकट मिलना तय माना जा रहा है. बागली विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है. बेरोजगारी और पानी की समस्या आज भी जस की तस है. वहीं स्वास्थ्य के मामले में भी यह क्षेत्र फेल है. यहां के अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है.

2013 के चुनावी नतीजे

मध्य प्रदेश में कुल 231 विधानसभा सीटें हैं. 230 सीटों पर चुनाव होते हैं जबकि एक सदस्य को मनोनीत किया जाता है. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165, कांग्रेस को 58, बसपा को 4 और अन्य को तीन सीटें मिली थीं.

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