योगी सरकार के प्रयासों का दिखने लगा असर, खेती की मुख्यधारा से जुड़ रहे आदिवासी

  • झांसी के कई गांव में आदिवासियों को दी जा रही खेती के लिए मूलभूत सहूलियतें
  • योगी सरकार दे रही प्रशिक्षण, तकनीक और उन्नत बीज
  • कम मेहनत में अधिक आमदनी कर सकेंगे आदिवासी
  • ट्राइबल सब प्लान योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र ने उठाया बीड़ा

झाँसी, 07 सितंबर। उत्तर प्रदेश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए योगी सरकार की ओर से चल रहे प्रयासों का असर दिखाई देने लगा है। झाँसी जिले में आदिवासी समुदाय को कृषि की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए नौ चयनित गाँव में ख़ास तरह के प्रयास हो रहे हैं। आदिवासी समुदाय के किसानों को प्रशिक्षण, तकनीकी और उन्नत बीज उपलब्ध कराकर उन्हें ऐसी खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे वे कम मेहनत में अधिक आमदनी कर सकें। भरारी स्थिति कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की मदद से इन गाँव के कई किसान बेहतर खेती कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का कारण साबित हो रहे हैं।

आदिवासी किसानों की आत्मनिर्भरता पर फोकस

ट्राइबल सब प्लान योजना के तहत कृषि विज्ञान केंद्र ने झाँसी जनपद में आदिवासियों को प्रेरित करने के लिए कदम बढ़ाया है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। लकारा, बडोरा, बाजना और गढ़मऊ गाँव के लगभग दो सौ से अधिक सहरिया आदिवासी समुदाय के किसानों को चयनित किया गया है। इन्हें बीज, सोलर पम्प, स्प्रेयर, स्टोरेज बिन सहित खेती से जुड़े मूलभूत साधन जरूरत के मुताबिक उपलब्ध कराकर प्रेरित किया गया, जिसके बाद कई किसानों ने शानदार उपज के सहारे आसपास के किसानों को भी प्रेरित किया। गाँव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई मशीनों का भी वितरण किया गया है। अब इन चारों गाँव में एक-एक स्वयं सहायता समूह का गठन कर इन्हें प्रशिक्षण देने के साथ ही आय बढ़ाने के लिए खेती आधारित कई अन्य काम सिखाने की भी तैयारी चल रही है।

सब्जियों की खेती के लिए प्रोत्साहन

इसी तरह बंगरा ब्लाक के पठा खरका, घुराट, मगरवारा, कचनेव और कगर गाँव के लगभग 140 से अधिक किसानों को चयनित किया गया है। इन्हें प्रशिक्षण देने के साथ ही उन्नतशील किस्म के बीज और पौध उपलब्ध कराकर सब्जियों की खेती के लिए प्रेरित किया गया। दिलचस्पी दिखाने वाले किसानों को कीटनाशी, फफूंदी नाशक आदि भी उपलब्ध कराये गए। इन गाँव के कई किसानों ने सब्जियों की खेती में दिलचस्पी दिखाई और अब बाकी किसान भी प्रेरित होकर इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। बैगन, टमाटर, मिर्च, खरीफ प्याज, अदरक जैसी खेती में आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर आदिवासी सहरिया समुदाय के कई किसानों ने बेहतर उपज हासिल की है।

दिलचस्पी दिखा रहे आदिवासी किसान

कृषि विज्ञान केंद्र भरारी के वैज्ञानिक डॉ आदेश बताते हैं कि आदिवासी समुदाय को उन्नतशील खेती के लिए जोड़ने पर काम चल रहा है। किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सबसे अधिक जोर गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने पर है। बीज उपचार का प्रशिक्षण भी किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हम किसानों के लिए टमाटर, मिर्च और बैगन की नर्सरी चला रहा हैं। आदिवासी समुदाय के किसान काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं और वे लगातार इस तरह की खेती के लिए आगे बढ़ रहे हैं।

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