10 सालों में ऐसे तमिलनाडू की संख्या में 50 फीसदी तक इजाफा हुआ है जो हिंदी बोल और समझ सकते हैं।

जब भी कोई व्यक्ति एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन करके जाता है तो उसे वहां की भाषा सीखनी पड़ती है। सीखनी इसलिए पड़ती है क्योंकि उस राज्य में गुजर बसर करने के लिए वहां की भाषा का ज्ञान होना जरुरी है। बहराल, इस सबके बीच तमिलनाडू से खबर आ रही है कि यहां पर पिछले 10 सालों में ऐसे तमिल लोगों की संख्या में 50 फीसदी तक इजाफा हुआ है जो हिंदी बोल और समझ सकते हैं। 10 सालों में ऐसे तमिलनाडू की संख्या में 50 फीसदी तक इजाफा हुआ है जो हिंदी बोल और समझ सकते हैं।वहीं आपको ये भी बता दें कि तमिलनाडू में लगातार लंबे समय से राज्य में हिंदी भाषा को लेकर आंदोलन भी हुए हैं और इसने कहीं न कहीं राज्य की राजनीति को भी बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है।

वहीं आपको बता दें कि राज्य में भले ही हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या कम हो सकती है लेकिन अगर मौजूदा वक्त में सीबीएससी और आईसएसई स्कूलों की वर्तमान परफोर्मेंस को देखा जाए तो आप पाएंगे कि भारी मात्रा में ऐसे बच्चे हैं जो अपने कोर्स में दूसरी और तीसरी भाषा के लिए हिंदी भाषा का चयन कर रहे हैं जो कि अपने आप में बहुत कुछ बयां करता है।

 इंटरनेशलन पोप्यूलेशन एक्सपर्ट पी अरोकीसामी का कहना है कि कई सारे ऐसे लोगो भी हैं जो राज्य (तमिलनाडू) से बाहर नौकरी देख रहे हैं वो भी हिंदी भाषा सीख रहे हैं। आपको बता दें कि ऐसे बहुत सारे कारण हैं जिसकी वजह से तमिलनाडू के लोग हिंदी सीख रहे हैं जिसका एक कारण हैं हिंदी के जो टीवी प्रोग्राम होते हैं उन्हें समझने के लिए उन्हें हिंदी सीखनी पड़ रही है। और इसकी शुरुआत तब हुई थी जब रामायण और महाभारत जैसे प्रोग्राम दूदर्शन टेलिवीजिन पर टेलिकास्ट होना शुरु हुआ था।

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