सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक बार फिर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी पेश हुए:सीलिंग केस

 दिल्ली के गोकलपुरी थाने में एक घर से एमसीडी की सील तोड़ने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक बार फिर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी पेश हुए.जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने मनोज तिवारी की मांग पर मामले की सुनवाई 10 दिनों के लिए टाल दी. दरअसल, मनोज तिवारी ने अपने एडवोकेट ऑन रिकार्ड (याचिका दायर करने वाले वकील) को बदलने का हवाला देकर सुनवाई टालने की मांग की, जिसे कोर्ट ने मंजूर करते हुए सुनवाई 10 दिनों के लिए टाल दी.सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक बार फिर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी पेश हुए:सीलिंग केसआपको बता दें कि मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला नहीं बनता है क्योंकि उन्होंने कोर्ट की अवमानना नहीं की है और इस मामले से मॉनिटरिंग कमिटी के निर्देश का कोई लेना देना नहीं था,इसलिए वो माफी नहीं मांगेंगे. मनोज तिवारी ने ये भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट अपनी मॉनिटरिंग कमेटी को भंग करे और वो खुद सीलिंग अफसर बनने को तैयार हैं.

मनोज तिवारी ने कहा है कि इसमें पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने गैर कानूनी काम किया है और पता नहीं क्या कारण है कि मॉनिटरिंग कमिटी ने ओखला, जामिया, शाहीन बाग, नूर नगर और जौहरी फार्म्स जैसे इलाकों में कोई सीलिंग नहीं कर रही है जबकि वहां पर पांच से सात मंजिला इमारतें बनी हुई हैं.तिवारी ने ये भी कहा है कि दिल्ली के लोगों को राहत देने और कानून का राज स्थापित करने के लिए मैं सीलिंग ऑफिसर बनने को तैयार हूं. 

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 25 सितंबर को मनोज तिवारी पेश हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने मनोज तिवारी के सीलिंग पर मीडिया में दिए बयान पर नाराज़गी जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि आपने बयान दिया है कि एक हजार संपत्तियां ऐसी है जो सील होनी चाहिए. आप लिस्ट दें हम आपको सीलिंग अधिकारी बना देंगे. कोर्ट ने अवमानना नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए तिवारी को एक सप्ताह का समय दिया था. उनके वकील से कहा कि जवाबी हलफ़नामा देने से पहले वे तिवारी के बयान की सीडी देखें. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मनोज तिवारी को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न अवमानना की कार्यवाही चलाई जाए. सीलिंग मामले की सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमिटी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि तिवारी ने एक इमारत की सील तोड़ी है. ये न सिर्फ सरकारी काम मे दखल है, बल्कि अदालत की भीअवमानना है ऐसे में तिवारी के खिलाफ अवमानना कीकार्रवाई चलाई जानी चाहिए. 

गौरतलब है कि दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ गोकलपुरी थाने में एक घर से एमसीडी की सील तोड़ने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी. मनोज तिवारी के खिलाफ एमसीडी के अधिकारियों के द्वारा शिकायत करने के बाद आईपीसी की धारा 188, 461 और 465 डीएमसी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था.

आपको बता दें कि 16 सितंबर को दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने गोकलपुरी में एक मकान में पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा लगाई गई सील तोड़ दी थी. आपको बता दें कि मनोज तिवारी अपने लोकसभा क्षेत्र में सड़क के उद्घाटन कार्यक्रम में पहुंचे थे. तभी लोगों ने उन्हें घेरकर सीलिंग से निजात दिलाने की मांग की थी. लोगों ने उन्हें एक मकान दिखाया जिस पर पूर्वी निगम की तरफ से सील लगाई गई थी. बीजेपी नेता ने तुरंत ही एक ईंट उठाकर मकान की सील तोड़ दी थी. जिस मकान पर सील लगी थी, वो रिहायशी मकान था. कुछ समय पहले निगम की तरफ से उस मकान को अवैध निर्माण के चलते सील कर दिया गया था. घटना के सामने आने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मामले में ट्वीट कर बीजेपी पर भी आरोप लगाया था.

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