रुस का सुखाई-एसयू-35 ने अपनी फायर पावर से साबित कर दिया कि जंग में उसका मुकाबला किसी से नहीं हैं। रूस का यह फाइटर जेट्स सुखोई-एसयू-35, एसयू-30 का नया वर्जन है, जिसे 2007 में बनाया गया। रूस ने यह जेट अमेरिका के एफ-16 को टक्कर देने के लिए बनाया है। इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है अमेरिका को मजबूर होकर इसके जवाब में एफ-35 बनाना पड़ा। हालांकि वेपन्स एक्सपर्ट मानते हैं कि अमेरिका के एफ-35 फाइटर जेट, सुखाई-एसयू-35 के आगे बौना है, इसकी स्पीड 2500 किमी प्रतिघंटा है। रूस की मिसाइल कंपनियां अब भी इसकी स्पीड बढ़ाने में लगी हुई हैं। इसे उड़ता हुआ टैंक भी कहा जाता है।

 टी-14 टैंक

साल 2015 में रुस ने दुनिया के सामने अपना पांचवीं पीढ़ी का टैक टी-14 पेश किया था। रूस का ये टैंक बेहद घातक माना जाता है। इस टैंक को रोबोटिक कॉम्बैट व्हीकल में भी बदला जा सकता है। इस टैंक की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तोप का गोला एक मीटर मोटी स्टील की चादर को भी भेद सकता है।

टीयू-160 बमवर्षक

इसी तरह रुस का तुपोलय टीयू-160 दुनिया का सबसे बड़ा बॉम्बिंग प्लेन है। इसे 18 दिसंबर 1981 को सेना में ऑफिशियल तौर पर शामिल किया गया था। इसकी स्पीड 2,250 किमी प्रति घंटा है। रिपोर्ट के अनुसार रूस ने इसे मोडिफाई कर इसे और भी  खतरनाक बना दिया है। रूस में इसे व्हाइट गूस यानि ‘सफेद हंस’ भी कहा जाता है।

यूरी डोग्लोरुकी पनडुब्बी

विश्वविजेता का सपना देख रहे रूस ने अपनी सैन्य ताकत को समुद्र में बेहद मजबूत कर लिया है। रूस ने वायु सेना के साथ सबसे ज्यादा ध्यान समुद्री ताकत पर ही दिया है, जिससे कि वो पूरे अटलांटिक ओसियन पर अपना दबदबा कायम रख सके। रूस ने इसमें कामयाबी भी हासिल कर ली है। न्यूक्लियर सबमरीज यूरी डोग्लोरुकी इसी का एक उदाहरण है। इसका निर्माण 1996 से शुरू हुआ था, जिसे जनवरी 2013 में लॉन्च किया गया। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि न्यूक्लियर वेपंस से लैस ये पूरी तरह से साउंडप्रूफ है। इसके चलते समुद्र में इसकी मौजूदगी का सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। साइलेंट किलर के नाम से भी जानी जाने वाली ये पनडुब्बी रूस की सेना की वो ताकत है, जिसकी काट अमेरिका भी खोज रहा है।

एडमिरल कुजनेत्सोव जंगी जहाज

इसी तरह रुस के जंगी जहाज भी बेहद आधुनिक हैं। रूस का ये जंगी जहाज दुनिया का एकमात्र ऐसा पोत है, जो कई तरह की एंटी बैलेस्टिक मिसाइल और सबमरीन से लैस है। कुजनेत्सोव दुनिया का अकेला विमानवाही पोत है जो कई तरह की एंटी बैलेस्टिक हथियारों और पनडुब्बी से लैस है। इसे 1990 में समुद्र में उतारा गया। सन 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद ये किसी नाटो देश के हिस्से में आने वाला था, लेकिन रूस की दादागिरी के चलते ऐसा हो नहीं सका। रूस ने इसे अब और आधुनिक बना लिया है। रुसी की समुद्री जंगी जहाज में दूसरा सबसे घातक जंगी जहाज प्योत्र वेलिकी वॉरशिप को माना जाता है। इससे दुनिया के ताकतवर देश भी घबराते हैं। इसका निर्माण 1986 में हुआ था। इसके बाद से ही इसे आधुनिक बनाने की प्रक्रिया जरूरी है। एटमिक पॉवर से चलने वाले इस वॉरशिप को नाटो के देश ‘फाइटर जेट्स का किलर’ कहते हैं। इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इस पर बैलेस्टिक मिसाइलों को भी सैकंडों में गिराया जा सकता है।

आज से लगभग 26 साल पहले जब 25 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ का विघटन हुआ था, उसके बाद रुस दुनिया में बेहद अलग-थलग पड़ गया। लेकिन इस दौरान रुस ने अपनी एटमी और सैन्य ताकत को कभी भी कमजोर नहीं पड़ने दिया। लगभग 21 साल के अंदर ही रुस ने ऐसे गुप्त हथियार बनाने शुरु कर दिए थे, जो अब अमेरिका के हथियारों पर भी भारी साबित होने लगे हैं। रुस के पास आज 35 लाख से ज्यादा सैनिक हैं, जिसमें 10 लाख से ज्यादा सैनिक सीमाओं पर तैनात हैं जबकि रिजर्व में 25 लाख से ज्यादा सैनिक हमेशा युद्ध पर जाने के लिए तैयार खड़े हैं।

रुस की सैन्य ताकत
आज दुनिया में अपना लोहा मनवा चुकी है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश को सैन्य ताकत में इतना मजबूत कर दिया है कि अब अगर कोई देश रुस को छेड़ता या उकसाता है तो रुस पृथ्वी से लेकर अंतरिक्ष तक ऐसा महाविनाश का युद्ध करने को तैयार हैं, जिसे देखना कोई नहीं चाहेगा यानि आज रुस विश्व विजेता बनने की तरफ कदम बढ़ा चुका है।