कलम चलाने वाले ये हाथ हैं, आइपीएस अमित लोढ़ा के और किताब है ‘बिहार डायरीज’।

पुलिस वाले सिर्फ बंदूक ही नहीं चलाते बल्कि कलम चलाना भी बखूबी जानते हैं। कलम चलाई भी तो ऐसी कि फिल्मी सितारे भी कहानी के मुरीद हो गए। कलम चलाने वाले ये हाथ हैं, आइपीएस अमित लोढ़ा के और किताब है ‘बिहार डायरीज’। कलम चलाने वाले ये हाथ हैं, आइपीएस अमित लोढ़ा के और किताब है 'बिहार डायरीज'।पेंग्विन पब्लिकेशन से आई इस किताब की कहानी बिहार के शेखपुरा जिले के कुख्यात अपराधी विजय सम्राट के पकड़े जाने की है, जो अमित लोढ़ा की आपबीती है। जल्द ही ये कहानी 70 एमएम के स्क्रीन पर नजर आएगी। 

आइआइटी में चेतन भगत के बैचमेट रहे अमित कहते हैं, ‘बिहार डायरीज ‘ब्रांड बिहार’ का काम करेगी। बिहार में अपनी 13-14 साल की पोस्टिंग के दौरान के अनुभव मैंने अपनी इस कहानी में पिरोये हैं। इसमें नालंदा में बन रहे पुलिस एकेडमी का जिक्र है, तो पटना में बनने वाले नए पुलिस भवन का भी।

बिहार में हाल के वर्षों में हुए बदलाव की झलक भी दिखेगी। अभी तक बॉलीवुड में बिहार की नकारात्मक छवि ही ज्यादा दिखाई है, मेरी फिल्म इस छवि को तोडऩे का काम करेगी।’

नीरज पांडेय बनाएंगे फिल्म

अमित लोढ़ा की किताब ‘बिहार डायरीज’ पर ‘स्पेशल 26Ó और ‘बेबी’ फेम मशहूर निर्देशक नीरज पांडेय फिल्म बनाने वाले हैं। फिल्म का निर्माण अगले साल से शुरू होगा मगर इसके पहले ही यह किताब सुर्खियों में है। अक्षय कुमार, इमरान हाशमी, ट्विंकल खन्ना, राणा डुग्गाबती समेत कई सितारे ‘बिहार डायरीज’ की कहानी को सुपरहिट का तमगा दे चुके हैं। 

 अक्षय कुमार हो सकते हैं हीरो

फिलहाल जैसलमेर में बीएसफ के डीआइजी अमित लोढ़ा कहते हैं, अभिनेता अक्षय कुमार मेरे दोस्त हैं, उनके जरिए ही निर्देशक नीरज पांडेय से मुलाकात हुई। वे खुद भी बिहार (आरा) से हैं और बिहार पर एक पॉजिटिव फिल्म बनाना चाहते हैं। मुझे उम्मीद है कि मेरी फिल्म बॉलीवुड का एक नए बिहार से परिचय कराएगी। वह बिहार जिसमें खाकी के डर से अपराधी भागे-भागे फिरते हैं। वह बिहार जो अब नई उड़ान भर रहा है। 

फिल्म का नायक कौन होगा, इस सवाल पर अमित बस इतना कहते हैं कि कोई बड़ा सितारा ही होगा। किताब की प्रस्तावना में ट्विंकल खन्ना के द्वारा उनके दोस्त अक्षय की ओर इशारा होने की बात पूछे जाने पर वह बस मुस्कुरा भर देते हैं।  

‘बिहार डायरीज’ 2005 में बिहार में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद अपराधियों के खिलाफ पुलिस के हल्ला बोल की कहानी है। आइपीएस अमित लोढ़ा की पोस्टिंग अपराध के लिए कुख्यात शेखपुरा में बतौर एसपी होती है। सरकार और सीएम का स्पष्ट निर्देश होता है कि ‘सुशासन’ के राज के लिए अपराधी को हर हाल में गिरफ्तार किया जाए।

इसके बाद शुरू होता है विजय सम्राट को पकडऩे का मिशन। विजय की तलाश में अमित बिहार के साथ झारखंड और बंगाल तक जाते हैं। पुलिस साम, दाम, दंड, भेद सारे उपाय लगाती है और अंतत: विजय को पकड़ लेती है। 

किताब में कई रोचक किस्से भी हैं। एक किस्सा है, जब रात के अंधेरे में अमित के नेतृत्व में टीम विजय को ढूंढ़ती हुई लखीसराय जाती है। बारिश के मौसम में नाव लगभग पलट जाती है। एक रात में पुलिस वाले 35 किमी पैदल चलते हैं। सुबह जब पुलिस लौटती है, तो देखती है जिस रास्ते वे गए थे वहां 100-150 सांप मरे हैं। ये सभी रात में पुलिस वालों के जूते के नीचे आकर मरे थे। 

 

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