बारिश के बाद हिमस्खलन से लिपूलेख तवाघाट नेशनल हाईवे बंद

देहरादून। उत्तराखंड में खराब मौसम यात्रियों और पर्यटकों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। चिंती की बात है कि बारिश के बाद हिस्खलन की वजह से नेशनल हाईवे बंद हो रहे हैं। हाईवे के बंद होने सेे यूपी, दिल्ली-एनसीआर आदि पड़ोसी राज्यों सहित उत्तराखंड के यात्री पर फंस रहे हैं। पर्यटकों, और यात्रियों को हाईवे पर सफर के दौरान अलर्ट रहने की सलाह दी जाती है। हालांकि, प्रशासन द्वारा मलबे की वजह से बंद हाईवे को खोलने का काम लगातार जारी रहता है, लेकिन खराब मौसम की वजह से राहत टीम को भी परेशानी होती है।

ग्लेशियर की वजह से उत्तराखंड के स्यीपी में भारी हिमस्खलन से लिपूलेख तवाघाट एनएच में पूरी तरह से यातायात ठप हो गया है। इस एनएच के बंद होने के बाद गुंजी, नाभी, कुटी, नपलच्यू के साथ ही आदि कैलाश और ओम पर्वत का सड़क संपर्क देश से कट गया। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी के बाद यहां हिमस्खलन हुआ है।

गुंजी और गब्र्यांग इस हिमस्खलन के बाद अलग-थलग पड़ गए हैं। स्यीपी में खंलगा नाले में ग्लेशियर से भारी संख्या में हिमखंड टूटकर पहुंचे। कई मीटर दूर तक बर्फ जमा होने से एनएच में वाहनों के साथ आम जन की आवाजाही भी कठिन हो गई है। सीमांत के कई माइग्रेशन गांवों का देश से संपर्क कट गया है।

आदि कैलास और ओम पर्वत की यात्रा पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।प्रशासन ने पहले 4 मई से यात्रा शुरू करने का ऐलान किया था। एनएच के बंद होने और कई जगह हिमस्खलन का खतरा होने से यात्रा समय पर कराना कठिन हो गई है। हालांकि स्थानीय स्तर पर बीआरओ के सूत्रों ने यात्रा शुरू होने से पहले ही सड़क को खोलने का दावा किया है। जानकार कृष्ण सिंह गब्र्याल ने बताया खंगला नाले में हर तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आ रही है। कहा कि कई जगह हिमस्खलन का खतरा बना हुआ है। कहा कि यात्रियों को हाईवे पर अलर्ट रहने की जरूरत है।

दारमा घाटी में ग्लेशियर से हिमस्खलन, सड़क बंद

दारमा घाटी के चीन सीमा को जोड़ने वाली सोबला ढाकर सड़क पर बॉलिंग में छकला व गलछिन नाले में गलेशियर टूटने से सड़क बन्द हो गई है। सीपीडब्ल्यूडी के एई अनिल बनग्याल ने बताया सड़क खोलने का कार्य किया जा रहा है। छकला, गलछिन नाले में लगभग 30 मीटर हिमस्खलन हुआ है। शुक्रवार को भी वहां बर्फबारी के साथ बारिश हुई है। गांव में लगभग एक फीट बर्फबारी हुई है। सीमा के अंतिम चौकी दावे विदांग में दो फीट से अधिक बर्फबारी हुई है।

बारिश के बीच ओलावृष्टि

जिले में आसमान बादलों से घिरा रहा। इस दौरान गरज के साथ बूंदाबादी हुई। पूर्वान्ह में बादल छंटने के बाद धूप खिली। अपरान्ह करीब तीन बजे से एक बार फिर बादल घिर आए। करीब चार बजे यहां एक बार फिर से बारिश के साथ ही ओलावृष्टि हुई। इससे तापमान में गिरावट आ गई। यहां बीते दो दिन से बारिश के साथ ओलावृष्टि हो रही है। इससे आड़ू, पोलम, खुबानी, नाशपाती, नीबू, माल्टा, संतरा की बौर के साथ ही गेहूं और मसूर की फसल को भी नुकसान पहुंच रहा है।

खलियाटॉप में 15 साल बाद अप्रैल माह में बर्फबारी

हिमनगरी में मौसम के बदले मिजाज से लोगों को अप्रैल में भी बर्फबारी देखने को मिल रही है। खलियाटॉप में ताजा हिमपात हुआ है। 15 साल के बाद यह पहला मौका है जब अप्रैल माह में बर्फबारी हुई है। बर्फबारी के बाद ठंड पड़ रही है। पर्यटकों के चेहरे खिल उठे हैं। जलवायु परिवर्तन का असर अब उच्च हिमालयी क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है।

पूर्व तक अप्रैल माह के दौरान ऊंची चोटियों में बर्फबारी कम ही देखने को मिलती थी, लेकिन अब अप्रैल माह में भी यहां हिमपात हो रहा है। खलियाटॉप में गुरुवार देर रात बर्फबारी हुई है। पूर्व खलिया में अप्रैल माह के दौरान बर्फबारी वर्ष 2008 में हुई थी। तब 16 अप्रैल को यहां बर्फबारी हुई थी।

स्थानीय लोगों का कहना है कि तब से लेकर यहां कभी भी अप्रैल माह के दौरान बर्फबारी नहीं हुई। बर्फबारी होने से पर्यटक खुश: प्रकृति की सुंदरता का लुत्फ उठाने देश के विभिन्न राज्यों से खलियाटॉप पहुंचे पर्यटक बर्फबारी देख खुश हैं। दिल्ली से यहां पहुंचे राकेश तिवारी, अटल, सुशील सहित अन्य पर्यटकों ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि इन दिनों वे ताजा हिमपात देख सकेंगे।

उन्होंने कहा कि दल में कई ऐसे लोग भी हैं जो अपने जीवन में पहली बार बर्फ गिरती देख रहे हैं। खलियाटॉप में शुक्रवार को भी बर्फबारी हुई। बीती रात बर्फबारी के बाद यहां मौसम खुल गया था।

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