एक जीती-जागती लडक़ी का मृत्युभोज

अमरपाल सिंह वर्मा

कल एक व्हाट्स एप ग्रुप में शोक संदेश का एक कार्ड आया। शोक संदेश में एक लडक़ी की मौत होने और उसकी पीहर गौरणी यानी मृत्यु भोज का आयोजन होने का विवरण छपा था। शोक संदेश पर लडक़ी की तस्वीर भी थी। बहुत ही कमउम्र लडक़ी की मौत के इस शोक संदेश को पढक़र दुख हुआ लेकिन जैसे ही कार्ड के साथ लिखी इबारत को पढ़ा तो मैं हैरान रह गया। आंखें आश्चर्य से खुली रह गईं क्योंकि यह मृत्यु भोज किसी लडक़ी की मौत पर नहीं बल्कि उसके जीते-जी किया जा रहा है।

शोक संदेश में लडक़ी की मौत की तारीख एक जून 2023 लिखी है और मृत्यु भोज का आयोजन 13 जून को आयोजित किया गया है। यह मृत्यु भोज लडक़ी के दादा, पिता, चाचा, ताऊ और भाई कर रहे हैं। आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि एक जीवित लडक़ी का मृत्यु भोज किसलिए? यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। इस प्रश्न का उत्तर पा कर आप भी उतने ही हैरान होंगे, जितना मैं हो रहा हंू। यह मामला केवल हैरानी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह परेशान करने वाला है। इससे पता चलता है कि हमारा समाज आज भी किस मोड़ पर खड़ा है?

यह शोक संदेश राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के एक गांव से आया है। वहां की 18 साल की एक लडक़ी ने अपनी पसंद के लडक़े से विवाह रचा लिया और उसके इस ‘अपराध’ की सजा उसे जीते-जीते मरा घोषित करके दी जा रही है। इस लडक़ी की सगाई गांव के ही एक लडक़े से हुई थी। किसी कारण परिजनों ने यह सगाई तोड़ दी लेकिन लडक़ी ने इसे मंजूर नहीं किया। वह उसी लडक़े से विवाह करने पर अड़ गई। परिजनों ने हामी नहीं भरी तो लडक़ी ने घर से भागकर लडक़े से शादी कर ली। परिजनों ने गुमशुदगी दर्ज कराई तो पुलिस ने लडक़ी को ढूंढकर बयान लिए। लडक़ी ने अपनी मर्जी से शादी करने की बात कह परिजनों के साथ जाने से इनकार कर दिया।

लडक़ी का यह रवैया परिजनों को किस कदर नागवार गुजरा है, इसका अंदाजा इस शोक संदेश से लगाया जा सकता है। उन्होंने इसके विरोध में वही तरीका अपनाया, जो गांव-देहात में प्रचलित है। यानी लडक़ी को मरा घोषित करके उसका मृत्युभोज कर देना। ऐसा करके लडक़ी के परिजनों ने अपनी पगड़ी की ‘लाज को बचाने का कदम’ उठाया है। जब कोई लडक़ी भागकर शादी कर लेती है तो समाज उसके परिजनों को किस कदर शर्मिन्दा करता है, यह किसी से छिपा नहीं है। लडक़ी के भाग जाने की खबर सार्वजनिक होते ही लडक़ी के परिवार वालों पर थू-थू की जाने लगती है। इस मामले मेंं भी यही हुआ। जब प्रिया नामक इस लडक़ी ने मनमर्जी से शादी रचाई तो किसी ने इसकी खुशी नहीं मनाई। परिवार पर यह खबर बिजली की तरह गिरी। उन्हें लगा कि वह किसी को चेहरा दिखाने के लायक नहीं रहे। अब वह दुनिया के सामने क्या मुंह लेकर जाएंगे? गांव के पंच-पटेलों ने भी जलती में घी का काम किया। इसका नतीजा जीती-जागती लडक़ी के शोक संदेश के रूप में सामने है।


यह अपनी तरह का कोई पहला मामला नहीं है। लडक़ी के अपनी मर्जी से शादी कर लेने पर गांव-देहात में ऐसी प्रतिक्रियाएं अक्सर सुनने को मिलती रहती हैं। पहले ऐसी बातें अखबारों की सुर्खियां नहीं बनती थीं लेकिन सोशल मीडिया के दौर में अब ऐसी बातें फौरन घर-घर तक पहुंच जाती हैं। दो-तीन साल पहले मध्यप्रदेश में मंदसौर के पास एक गांव की 19 साल की शारदा ने अपनी पसंद के लडक़े विवाह किया तो उसके परिजनों ने भी वही कुछ किया था, जो अब प्रिया के परिजन करने जा रहे हैं। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा करके किसी को मिलेगा क्या? दरअसल, भागकर शादी करने वाली लड़कियों के परिजन उनके जीते-जी मृत्युभोज करके अपनी नाक ‘ऊंची’ फिर से करना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि जब वह अपनी लडक़ी को मरा मान लेंगे तो समाज उन्हें दोषी नहीं ठहराएगा बल्कि उनकी गिनती उन ‘बेचारों’ में होगी, जिनकी परवाह उस औलाद ने भी नहीं की, जिसे उन्होंने पाला-पोसा, पढ़ाया-लिखाया।

इक्कीसवीं सदी में पहुंचने के बावजूद समाज की असल तस्वीर यही है। इसका प्रमाण है वह प्रतिक्रियाएं, जो भीलवाड़ा की प्रिया के मृत्युभोज के कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल होने पर आई हैं। ऐसे लोगों की तादाद कम नहीं है, जो जीती-जागती लडक़ी का मृत्युभोज करने को सही ठहरा रहे हैं। इसे अच्छी पहल बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि ऐसी औलाद के साथ ऐसा ही सलूक होना चाहिए।

समाज में हम अक्सर लोगोंं को नारी सशक्तीकरण की बातें करते सुनते हैं लेकिन जब कोई लडक़ी मर्जी से शादी कर लेती है तो उसे कुलटा, कलंकिनी, कुल बैरन, खानदान की नाक कटाने वाली और न जाने क्या-क्या कहा जाने लगता है। कई बार तो मनमर्जी से विवाह करने का बदला लडक़ी की हत्या करके लिया जाता है। समझ नहीं आता कि लडक़ी के मर्जी से विवाह कर लेने पर ही कुल की नाक नीची क्यों होती है? कोई लडक़ा अगर पसंद की लडक़ी से विवाह कर ले तो ऐसा हंगामा क्यों नहीं बरपता? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्या एक बालिग लडक़ी को अपनी पसंद से शादी करने का भी अधिकार नहीं है?

(लेखक राजस्थान के स्वतंत्र पत्रकार हैं)

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com