राघवेन्द्र प्रताप सिंह : भारतीय प्रधानमंत्री ने इस बैठक में अपने वीडियो संदेश के जरिए कहा कि विश्व स्तर पर, कृषि 2.5 अरब से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करती है। ग्लोबल साउथ में, कृषि सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देती है और 60 प्रतिशत से अधिक नौकरियां कृषि पर निर्भर हैं। आज, इस क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। महामारी के कारण आपूर्ति श्रृंखला में हुए व्यवधान, भू-राजनीतिक तनावों की वजह से और भी चिंताजनक हो गए हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसम की घटनाएं अधिक बार सामने आ रहीं हैं। इन चुनौतियों को ग्लोबल साउथ द्वारा सबसे अधिक महसूस किया जा रहा है।
मोदी का कहना था कि हमारी नीति, ‘मूल बातों की ओर वापस’ (बैक टू बेसिक्स) और ‘भविष्य की ओर’ (मार्च टू फ्यूचर) का मिश्रण है। हम प्राकृतिक खेती के साथ-साथ प्रौद्योगिकी आधारित खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं। पूरे भारत में किसान अब प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं। वे कृत्रिम उर्वरकों या कीटनाशकों का उपयोग नहीं कर रहे हैं। उनका ध्यान; धरती माता का कायाकल्प करने, मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा करने, ‘प्रति बूंद, अधिक फसल’ पैदा करने और जैविक उर्वरकों व कीट प्रबंधन समाधानों को बढ़ावा देने पर है। साथ ही, हमारे किसान उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे हैं। वे अपने खेतों पर सौर ऊर्जा का उत्पादन और उपयोग कर रहे हैं। वे फसल चयन के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उपयोग कर रहे हैं तथा पोषक तत्वों का छिड़काव करने और फसलों की निगरानी करने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। मेरा मानना है कि यह ‘मिश्रित दृष्टिकोण’ कृषि के कई मुद्दों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
कृषि क्षेत्र में भारत की जी20 प्राथमिकताएं; ‘एक पृथ्वी’ को स्वस्थ करने, ‘एक परिवार’ के भीतर सद्भाव पैदा करने और उज्ज्वल ‘एक भविष्य’ के लिए आशा प्रदान करने पर केंद्रित हैं।
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