अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी की बिक्री पर कई शर्तें लगा दी हैं।

चीन और अमेरिका के बीच चल रहा तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी की बिक्री को लेकर कई शर्तें लगा दी हैं। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि चीन न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल कर सकता है, जिसके मद्देनजर ये कदम उठाया गया है। अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया है कि वह अमेरिकी प्रौद्योगिकियों को अवैध रूप से हासिल करने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि पहले से ही ट्रेड वार के कारण दोनों के बीच रिश्तों में तनाव है। जानकारों का मानना है कि अमेरिका का यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाने का काम करेगा।

ऊर्जा विभाग के सचिव रिक पेरी ने कहा कि यूएस-चीन असैनिक परमाणु सहयोग द्वारा स्थापित नियमों के बाहर जाकर चीन परमाणु प्रौद्योगिकी प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। हम राष्ट्रीय सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि चीन अवैध रूप से अमेरिकी कंपनियों से परमाणु सामग्री, उपकरण और उन्नत प्रौद्योगिकी प्राप्त करना चाहता है। सुरक्षा नीतियों के अनुसार, सिविल न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी की बिक्री के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा स्थापित है, जिन्हें वर्तमान समय में सेना में परिवर्तन और प्रसार के कारण होल्ड पर रखा गया है।

अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका की नई नीति के मुताबिक, चीन के सामान्य परमाणु ऊर्जा समूह से संबंधित मौजूदा प्राधिकरणों को नए लाइसेंस आवेदन या एक्सटेंशन की अनुमति नहीं दी जाएगी। चीन पर अमेरिका परमाणु प्रौद्योगिकी की चोरी करने का आरोप लगा रहा है। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, ‘पिछले काफी दशकों से, चीन सरकार ने परमाणु टेक्नोलॉजी हासिल करने के लिए एक संचालित रणनीति बनाई हुई है।’

इन क्षेत्रों में न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी का उपयोग
ऊर्जा विभाग ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के साथ-साथ दीर्घकालिक जोखिम को देखते हुए ये शर्तें आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि चीन इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल तीसरी पीढ़ी के न्यूक्लियर पॉवर सबमरीन, परमाणु संचालित एयरक्राफ्ट और परमाणु संचालित प्लेटफार्मों में, जैसे छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों और दक्षिण चीन सागर में तैरने वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में करना चाहता है।

चीन पहले से ही कर रहा था परमाणु ऊर्जा का उपयोग
अमेरिकी आधिकारियों ने आरोप लगाया कि चीन पहले से ही दक्षिण चीन सागर में बनाए गए मानव निर्मित द्वीपों पर परमाणु ऊर्जा का उपयोग कर रहा था। अधिकारी ने कहा, ‘हम जानते हैं कि वे इन द्वीपों पर परमाणु संचालित बर्फबारी के लिए प्लेटफार्म विकसित कर रहे हैं, इन द्वीपों पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र भी मौजूद हैं, जिसकी मदद से किसी भी प्लेटफॉर्म पर तेज़ी से तैनाती की जा सकती है।’ 2017 में, चीन ने अमेरिका से 170 मिलियन अमरीकी डॉलर की परमाणु प्रौद्योगिकी आयात की। अधिकारी ने कहा कि हम समझते हैं कि इससे अमेरिकी उद्योग पर अल्प अवधि के लिए असर पड़ सकता है और नुकसान हो सकता है। लेकिन लंबी अवधि में, इस नीति से देश को लाभ होगा और इनसे अमेरिकी परमाणु उद्योगों की रक्षा होगी।’

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com