(शाश्वत तिवारी) : भारत और अमेरिकी सेना मिलकर 25-27 सितंबर के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में 13वां द्विवार्षिक हिंद-प्रशांत सेना प्रमुख सम्मेलन (आईपीएसीसी), 47 वां वार्षिक हिंद-प्रशांत सेना प्रबंधन सम्मेलन (आईपीएएमएस) और 9वां सीनियर एनलिस्टेड फोरम की मेजबानी आयोजित कर रही है। इन सम्मेलनों का मुख्य उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोस्ती और संवाद के जरिए शांति और स्थिरता बनाए रखना है
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा ‘नेबरहुड फर्स्ट’, प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति की आधारशिला रही है। भारत का दृष्टिकोण इस क्षेत्र को इसकी ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ से परिभाषित किया गया है। उन्होंने कहा कि मित्र देशों के साथ मजबूत सैन्य साझेदारी बनाने की दिशा में भारत के प्रयास न केवल हमारे अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने बल्कि हम सभी के सामने आने वाली महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

अमेरिका के आर्मी चीफ जनरल रैंडी जॉर्ज ने कहा कि दुनिया में युद्ध का तरीका बदल रहा है। जितने देश भी कॉन्फ्रेंस में शामिल है उनके बीच सैन्य समेत हर स्तर पर सहयोग मजबूत करना होगा। एक-दूसरे के साथ विश्वास बढ़ाना होगा। हमारी एकता-प्रतिबद्धता से संबंध और गहरे होते चले जाएंगे।
सेना और नेवी की यह दुनिया की सबसे बड़ी कॉन्फ्रेंस होती है। इस कॉन्फ्रेंस का मकसद आपसी समझ, संवाद और मित्रता के माध्यम से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है। इस साल के सम्मेलन का विषय “शांति के लिए एक साथ: भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना” है।
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