अयोध्या में अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा आयोजित

अयोध्या। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (शिक्षा मन्त्रालय, भारत सरकार) के सौजन्य से अयोध्याधाम में दिनांक 18 से 21 मार्च, 2024 की अवधि में अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा का आयोजन हुआ। इस वर्ष इस कार्यक्रम को आयोजित करने हेतु केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर को अधिकृत किया गया था। 18 मार्च, 2024 को श्रीराम सत्संग भवन, मणिरामदास छावनी परिसर, वासुदेव घाट में उद्धाटन सत्र सहित एवं अनेक स्पधाएं सार्वभौम उ.मा. संस्कृत विद्यालय में सम्पन्न हुई।

21.3.2024 को प्रात: स्फूर्तिस्पर्धा एवं अपराह्ण 2.00 बजे से मणिरामदास छावनी ट्रस्ट के सत्संग भवन हाल में समापन समारोह का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम वैदिक एवं लौकिक मंगलाचरण के साथ विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया गया। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नर्इ दिल्ली के कुलसचिव प्रो. रा. गा. मुरलीकृष्णन् ने स्वागत भाषण में देश के विभिन्न भागों से पधारे हुए अतिथियों और विद्वानों का वाचिक अभिनन्दन किया।

निर्णायकों में से भाग्यनगर से पधारे प्रो श्रीपाद सुब्रह्मण्यम, वाराणसी से आए प्रो वृजभूषण ओझा तथा बैंगलुरु से पहुंची प्रो. श्रुति एच. के. ने निर्णायकों के रूप में अपने अनुभव साझा किये। तद्नुसार अयोध्याधाम में इस वर्ष सम्पन्न हुर्इ 61वीं अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा अपने आप में गौरवमयी तथा अनोखी थी। शास्त्र परिचर्चा के साथ श्रीराम मंदिर दर्शन तथा सरयू नदी पर दीपोत्सव से हार्दिक शांति एवं प्रसन्नता का भाव जागृत हुआ। आपने इस कार्यक्रम में की गयी सुविधाओं और व्यवस्था के लिए प्रो. सर्वनारायण झा, निदेशक, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर के प्रति हार्दिक धन्यवाद प्रकट किए। इसी प्रकार से विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा संस्थाओं से पधारे मार्गदर्शकों में नागपुर (महाराष्ट्र) से श्वेता शर्मा, पोरबन्दर (गुजरात) से डॉ गौरी शंकर जोशी तथा व्यवस्थापक के रूप में लखनऊ (उ.प्र.) से प्रो. भारतभूषण त्रिपाठी ने अपने अनुभव व्यक्त किये।

इस महोत्सव की यह विशेषता थी कि छोटे-छोटे बच्चों ने शास्त्रों को कण्ठस्थ करके सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन बच्चों की प्रतिभा का प्रदर्शन इस कार्यक्रम में किया गया। जिनमें सम्पूर्ण अमरकोष को करने वाली वसुधा ने अद्भुत प्रदर्शन किया। इसी प्रकार गौरव उपाध्याय ने सुभाषि‍त कण्ठपाठ, प्रमति न.स. और अमृत बन्धु शर्मा ने श्रीमद्भगवद्गीता, मुक्ता एस. ने न्याय भाषण तथा अनुशा ने पुराणेतिहास शलाका का आश्चर्यचकित कर देने वाला प्रदर्शन किया।

विशिष्ट रूप से स्वामी कमलनयनदास ने आशीर्वचन प्रस्तुत करते हुए संस्कृत विद्या के संवर्धन के लिए संस्कृतज्ञों का आह्वान किया तथा इसके उज्जवल भविष्य के लिए सभी को कार्य करने की प्रेरणा प्रदान की। संस्कृत के पारम्परिक विद्वान् प्रो कृष्णमूर्ति शास्त्री ने समवेत भाव से संस्कृत भाषा तथा शास्त्रों की रक्षा तथा संवर्धन करने के उपाय बताये तथा सभी युवा विद्वानों को आशीर्वाद प्रदान किया। इसी प्रकार वेद विद्वान् स्वामी सत्येन्द्र दास ने शुभ सन्देश प्रदान करते हुए भारत में शास्त्रीय परम्परा को स्थापित करने का आह्वान किया। मुख्यातिथि‍ के रूप में अपने विचार प्रकट करते हुए श्रीरामजन्म भूमि न्यास क्षेत्र के महामंत्री चम्पतराय ने कहा कि युवा पीढी को कठिनाइयों पर विचार न करते हुए समय का सदुपयोग करना चाहिए तथा धर्म, संस्कृति एवं शास्त्रों की रक्षा के लिए योगदान करना चाहिए। इससे भावी पीढी में संस्कारों का आधान किया जा सकता है। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पाण्डेय ने विशिष्टातिथि‍ के रूप में युवा विद्वान् पीढी को बढकर संस्कृत के प्रचार के साथ शास्त्र परम्परा को संवर्धित तथा संरक्षिेत करने की बात की।

अध्यक्षीय भाषण में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी ने कहा कि भगवान् श्रीराम के आदर्शों के अनुसार युवा संस्कृतज्ञों को शास्त्र की रक्षा के लिए अपना समय तथा श्रम देना चाहिए तथा संकल्प करना चाहिए कि जीवन में किसी एक शास्त्र की रक्षा के लिए आजीवन कार्य करेंगे। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि यह स्पर्धा न होकर एक उत्सव है। आपने यह भी घोषित किया कि आगामी वर्ष में यह अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा न होकर अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव माना जायगा। आपने यह भी उद्घोषि‍त किया कि अग्रिम वर्ष यह कार्यक्रम माया अथवा मथुरा नगरी में आयोजित किया जायगा। इसके पश्चात् धन्यवाद समर्पण करते हुए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर के निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा ने अपने कृतज्ञता भाव व्यक्त किए और कहा कि इस समय अयोध्या नगरी में निर्माण कार्य चल रहे हैं तथा रामभक्तों की भीड भी अधिक है। अत: इस कार्यक्रम के आयोजन में कुछ दिक्कतें आर्इं किन्तु पूरे गौरव और प्रतिष्ठापूर्वक कार्यक्रम का आयोजन किया जा सका। जिसमें भगवान् श्रीराम के आशीर्वाद ही कारण है।

इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी प्रो. मधुकेश्वर भट्ट, प्रो. लोकमान्य मिश्र, प्रो. मदनमोहन पाठक, आचार्य प्रो. देवी प्रसाद द्विवेदी, आचार्य भारतभूषण त्रिपाठी, आचार्य धनीन्द्र कुमार झा, आचार्य गुरुचरण सिंह नेगी, आचार्य गणेश शंकर विद्यार्थी, डॉ. प्रफुल्ल गडपाल, डॉ. एस.पी सिंह, डॉ. चन्द्रश्री पाण्डेय, डॉ रुद्रनारायण नरसिंह मिश्र, डॉ. स्वाती माजटा, गुरुप्रसाद, वेद प्रकाश एवं केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के अनेक स्वयंसेवक कार्यक्रम में उपस्थिरत रहे।

दिनांक 18 मार्च से 21 मार्च 2024 तक साहित्यभाषण, व्याकरणभाषण, धर्मशास्त्रभाषण, वेदान्तभाषण, न्यायभाषण, ज्योतिषभाषण प्रतियोगिता, साहित्यभाषण, व्याकरणभाषण, धर्मशास्त्रभाषण, वेदान्तभाषण, न्यायभाषण, ज्योतिषभाषण प्रतियोगिता, अर्थशास्त्रशलाका, वेदान्तशलाका, न्यायशलाका, व्याकरणशलाका, ज्योतिषशलाका, मीमांसाशलाका स्पर्धा, अष्टाध्यायी कण्ठपाठ, अमरकोष कण्ठपाठ, धातुरूप कण्ठपाठ, काव्य कण्ठपाठ, शास्त्रार्थविचार (प्रथम सोपान), मीमांसा भाषण, जैनबौद्ध भाषण, सांख्ययोग भाषण, वेदभाष्यभाषण, आयुर्वेद भाषण, भारतीय विज्ञान भाषण, पुराणेहितास शलाका, साहित्य शलाका, काव्य शलाका, भारतीय गणित शलाका, शास्त्रार्थविचार (द्वितीय सोपान), भगवद्गीता कण्ठपाठ, सुभाषित कण्ठपाठ, शास्त्रार्थविचार (अन्तिम सोपान) एवं सायं सरयू आरती का आयोजन सरयू तट पर किया गया।

अखिल भारतीय शास्त्रीय स्पर्धा में विषय विशेषज्ञों में से देश भर के ख्याति प्राप्त विद्वानों में कुप्पा विश्वनाथ शर्मा, तिरुपति; प्रो गणेश र्इश्वरभट्ट, शृंगेरी; हरि रविराम धयगुडे, तिरुपति; डॉ¬. कुप्पा श्रीगुरुबिल्वेशशर्मा, वाराणसी; पुष्करदेवपूजारि, बालुश्शेरी; प्रो राजाराम शुक्ल, वाराणसी; श्रीकृष्ण शास्त्री, सतारा; डॉ राजेश्वर विश्वास देशमुख, पुणे; प्रो. श्रीपादसुब्रह्मण्य शास्त्री, हैदराबाद; सि. हेच्. एस् नरसिंहमूर्ति, शृंगेरी; प्रो के ई मधुसूदन, गुरवायुरु परिसर; महामहोपाध्याय प्रो मणिद्रविड शास्त्री, डॉ. तुलसी जोशी, डा. विद्वान् रंगनाथ, चेन्नै; प्रो रणवीरनाथ भट्टाचार्य, प्रो शीतला प्रसाद शुक्ल, प्रो रामनाथ झा, के इ देवनाथन, श्री धरणीधर पाडिचेरी,सत्यधरा आचार्य कटटी, अरुणाचार्य के, सुधाकर आचार्य, श्री रामकृष्ण पेजाताय, डा राजेन्द्र इ, प्रो महाबलेश्वर भट्ट, प्रो गंगाधरन नार, डा भाग्यलता, पुणे; डा तिलक राय बीएलआर; डा दानिश रसल, पुणे; डा पराग जोशी, डा दिनकर मराठे, प्रो काशीनाथ न्यूपाने, डा गणपति भट्ट, प्रो डोरबाला, डा जे रामकृष्ण, प्रो विश्वमूर्ति, डा साधु श्रुति, डा संतोष कुमार शुक्ल, डा नारायण मिश्र, प्रो महावीर अग्रवाल, वामश्री कृष्ण गणपति, पं वसन्त गाडिल, प्रो डीपी त्रिपाठी, प्रो. धर्मेन्द्र चतुर्वेदी, प्रो कृष्ण कुमार पाण्डे, प्रो सदाशिव द्विवेदी, प्रो गोपबन्धुं मिश्र, प्रो पतंजलि मिश्र, प्रो सुधाकर मिश्र, वाराणसी, डा विटोभाचार्य, प्रो धनंजय पांडेय, सुधाकराचार्य यूएस, प्रो शत्रुघ्न त्रिपाठी, डॉ. अरुणाचार्य, प्रो अमित कुमार शुक्ल, प्रो रामपूजन पांडेय, डॉ. सत्यप्रमोदाचार्य, प्रो. ब्रजभूषण ओझा, डॉ. प्रियव्रतमिश्र, श्रीनिवासन आचार्य, प्रो नारायणाचार्य, प्रो सुब्रह्मण्यम आआइटी, मुम्बर्इ, प्रो राजाराम शुक्ल, पं. सुधाकर आचार्य, डा रंगनाथ गणाचार्य, सुरथी एचके, डा विजयलक्ष्मी, बैंगलुरू, विदुषी अमृतावरसानी, विदुषी अर्पणा, अर्चना करनाथ, प्रो रामसुब्रह्मण्यम आआइटी, मुम्बई, प्रो कृष्णमूर्ति शास्त्री चैन्नई, प्रो ए वीनागसमपगी, बैंगलोर आदि तीनों दिनों की स्पर्धाओं में निर्णायक के रूप में उपस्थित रहे। स्पर्धाओं का संचालन लखनऊ से प्रो¬ मदन मोहन पाठक, प्रो. धनीन्द्र कुमार झा, डॉ गणेश शंकर विद्यार्थी, डॉ प्रफुल्ल गडपाल, डॉ गणेश टी पण्डित, डा. अमृता कौर आदि ने किया।

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