महिलाओं के विरुद्ध अनर्गल टिप्पणी से आखिर कैसे मिलेगी निजात

भारतीय राजनीति में महिलाओं के खिलाफ अनर्गल टिप्पणी या बयानबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब एक सम्भ्रांत महिला दूसरी प्रतिस्पर्धी महिला पर कीचड़ उछाले, अनैतिक कटाक्ष करे…तो किसी का भी चिंतित होना लाजिमी है। सवाल है कि महिलाओं के विरुद्ध अक्सर होने वाली ऐसी अनर्गल टिप्पणी से आखिर कैसे निजात मिलेगी?

हाल ही में हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी कंगना रनोट और मंडी पर कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत व गुजरात कांग्रेस के किसान राज्य संयुक्त समन्वयक एच एस अहीर की आपत्तिजनक पोस्ट का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब तो राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इसे महिला सम्मान के विरूद्ध बताया और चुनाव आयोग से शिकायत कर तत्काल कार्रवाई की मांग की।

वहीं, हिमाचल प्रदेश भाजपा ने भी चुनाव आयोग से शिकायत की है कि यह अपमानजनक टिप्पणी है, जो इंटरनेट मीडिया पोस्ट के रूप में प्रसारित की गई है। यह किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली पोस्ट है। यही नहीं, यह आदर्श आचार संहिता के अनिवार्य दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन है। यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के साथ भारतीय दंड संहिता के तहत भी अपराध के दायरे में आती हैं। इनकी टिप्पणियां लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत परिभाषित भ्रष्ट आचरण की परिभाषा के अंतर्गत आती हैं।

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वहीं, हिमाचल प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने इसे देवभूमि हिमाचल का अपमान बताते हुए कहा कि सुप्रिया श्रीनेत की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है। दरअसल, कंगना को लेकर पूरा विवाद तब खड़ा हुआ, जब मंडी सीट से भाजपा प्रत्याशी कंगना को लेकर कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत के इंस्टाग्राम अकाउंट से अभिनेत्री की तस्वीर के साथ एक आपत्तिजनक पोस्ट की गई, जिसमें लिखा हुआ था कि क्या भाव चल रहा है मंडी में, कोई बताएगा?’

यह बात अलग है कि विवाद बढ़ते ही कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने अपने पोस्ट को हटा दिया और सफाई दी कि “उनके मेटा (इंस्टाग्राम व फेसबुक) अकाउंट का संचालन करने वाले किसी दूसरे व्यक्ति से यह गड़बड़ी हुई है। वह किसी महिला को लेकर ऐसी आपत्तिजनक पोस्ट के बारे में सोच भी नहीं सकतीं। वह उस पैरोडी अकाउंट के विरुद्ध कार्रवाई करेंगी, जो उनके नाम का इस्तेमाल कर रहा है।”

वहीं, सुप्रिया श्रीनेत की पोस्ट के जवाब में कंगना ने कहा कि, “एक कलाकार के रूप में अपने करियर के पिछले 20 वर्षों में मैंने हर तरह की महिलाओं का किरदार निभाया है। हमें अपनी बेटियों को पूर्वाग्रहों के बंधन से मुक्त करना चाहिए। हमें उनके शरीर के अंगों के बारे में जिज्ञासा से ऊपर उठना चाहिए। हर महिला गरिमा और सम्मान की हकदार है।”

उधर, सुप्रिया श्रीनेत वाले मामले पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि “अगर आपके (सुप्रिया श्रीनेत) अकाउंट से वही पोस्ट होती है जो पैरोडी अकाउंट पर पोस्ट होती है तो इसका मतलब है कि दोनों अकाउंट के एडमिन एक ही हैं।” वहीं, तजिंदर बग्गा ने कहा है कि “इन पोस्ट से कांग्रेस का महिला विरोधी चेहरा बेनकाब हुआ है। सुप्रिया श्रीनेत ने कांग्रेस का नेहरूवादी चेहरा दिखाया है।” वहीं, शहजाद पूनावाला ने भी सुप्रिया श्रीनेत के पोस्ट को शर्मनाक बताया और कहा कि “यह घिनौनेपन से भी आगे है। क्या मल्लिकार्जुन खरगे सुप्रिया श्रीनेत को हटाएंगे? हाथरस वाली लॉबी अब कहाँ है?”

वहीं, राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक पोस्ट में कहा, ‘आयोग सुप्रिया श्रीनेत और एचएस अहीर के अपमानजनक आचरण से स्तब्ध है, जिन्होंने इंटरनेट मीडिया पर कंगना के बारे में अभद्र व अपमानजनक टिप्पणी की। ऐसा व्यवहार असहनीय व महिलाओं की गरिमा के विरुद्ध है। लेकिन सवाल यह है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ भाजपा नेता दिलीप घोष की टिप्पणियों के खिलाफ उसका स्टैंड क्या है? खुद कंगना रनौत का एक पुराना इंटरव्यू वायरल हो रहा है, जिसमें कंगना रनौत बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को सॉफ्ट पोर्न स्टार कहती हुईं सुनी जा रहीं हैं। ऐसे में सुलगता हुआ सवाल है कि जिस समाज में इस फूहड़ता की कोई जगह नहीं होनी चाहिए, तो फिर भाजपा और कंगना सेलेक्टिव क्यों है? समय रहते ही स्पष्ट कर दें, तो बेहतर रहेगा।

क्योंकि एक तरफ तो कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में दो टूक कहा, सार्वजनिक चर्चा में ऐसी भाषा के लिए कोई जगह नहीं है और कांग्रेस का रुख इस मामले में हमेशा स्पष्ट रहा है। जबकि सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है कि जिसने भी यह किया है, यह एक गलती है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है और मामले को यहीं खत्म हो जाना चाहिए।

वहीं, दूसरी ओर बंगाल में भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद दिलीप घोष को एक वीडियो क्लिप में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पारिवारिक पृष्ठभूमि का मजाक उड़ाते हुए देखे जाने के बाद गत दिनों विवाद खड़ा हो गया। इस मामले में तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि दिलीप घोष की यह टिप्पणी ‘भाजपा के डीएनए’ को दर्शाती है। साथ ही ‘एक्स’ पर क्लिप साझा करते हुए पत्र लिखकर केंद्रीय चुनाव आयोग से इसकी शिकायत कर कार्रवाई की मांग की।

वहीं, आयोग ने बर्द्धमान-दुर्गापुर सीट से भाजपा उम्मीदवार घोष की टिप्पणी को लेकर जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। हालांकि, वायरल हुई इस वीडियो क्लिप की प्रामाणिकता की पुष्टि होनी अभी बाकी है। बता दें कि भाजपा की बंगाल इकाई के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष को तृणमूल के चुनावी नारे ‘बांग्ला निजेर मेयेके चाई’ (बंगाल अपनी बेटी चाहता है) का मजाक उड़ाते हुए देखा जा सकता है।

उन्होंने कहा, जब वह (ममता) त्रिपुरा जाती हैं तो कहती हैं कि वह त्रिपुरा की बेटी हैं। जब वह बंगाल में होती हैं तो कहती हैं कि बंगाल की बेटी हैं। इसलिए पहले उन्हें स्पष्ट करने दीजिए, उनके पिता कौन हैं? गौरतलब है कि मेदिनीपुर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद घोष तृणमूल के 2021 के चुनाव नारे ‘बांग्ला निजेर मेयेके चाई’ का जिक्र कर रहे थे।

उनकी इस टिप्पणी पर बंगाल की महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पांजा ने कहा कि इस टिप्पणी पर उन्हें तुरंत माफी मांगनी चाहिए। वहीं, इस मुद्दे पर राष्ट्रीय महिला आयोग की खामोशी भी समझ से परे है। लोग पूछ रहे हैं कि बिलकिश बानो के दोषियों की रिहाई पर जिनका मुंह नहीं खुला, पहलवान बेटियों की दुर्दशा और दयनीय हालात पर जिनका मुंह नहीं खुला, मणिपुर की उस दुखद और अमानवीय घटना पर जिनका मुंह नहीं खुला, नेहा सिंह राठौर को मियां खलीफा से कंपेयर करने वालों पर जिनका मुंह नहीं खुला, वो अब कह रहे हैं कि सुप्रिया श्रीनेत ने कंगना रनौत का अपमान किया है, जबकि सुप्रिया श्रीनेत ने पहले ही उस पोस्ट को डिलीट कर दिया है और बता भी दिया है कि यह उनकी सोशल मीडिया टीम की गलती थी। बावजूद इसके बीजेपी ने कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है।

सवाल फिर यही कि महिलाओं के विरुद्ध अनर्गल टिप्पणी के मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग जैसी संस्थाएं पिक एंड चूज का रवैया अपनाएंगी तो फिर इस शर्मनाक सियासी प्रवृत्ति से निजात आखिर कैसे मिलेगी? यही नहीं, भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां भी पिक एंड चूज करके बयानबाजी करेंगी, तो फिर महिलाओं से जुड़े इस ज्वलंत सवाल का क्या होगा, जिस पर चुनाव आयोग से और राजनीतिक दलों से एक स्पष्ट और सर्वमान्य दृष्टिकोण की अपेक्षा की जाती है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो सियासत गर्त में चली जायेगी और उदंडता का महिमामंडन हर ओर होगा, जैसा कि आजाद भारत में एक सियासी परंपरा बन चुकी है।

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