(शाश्वत तिवारी): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोकतंत्र पर आयोजित शिखर सम्मेलन में अपने विचार रखे। दोनों नेताओं ने अपने संदेश में लोकतंत्र के प्रति भारत की गहरी प्रतिबद्धता को दोहराया। प्रधानमंत्री ने विश्व में लोकतंत्र के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए लोकतांत्रिक देशों के सामूहिक और सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान किया। पीएम मोदी ने कहा भारत में लोकतंत्र की एक प्राचीन और अटूट संस्कृति मौजूद है। अशांति और परिवर्तन के युग में, लोकतंत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए हमें एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। भारत इस प्रयास में सभी साथी लोकतंत्रों के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रणालियों और संस्थानों में समावेशिता, निष्पक्षता और सहभागी निर्णय लेने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
समिट फॉर डेमोक्रेसी के तीसरे संस्करण में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की शुरूआत पारदर्शिता, दक्षता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पवित्रता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
उन्होंने कहा स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव कराने के लिए भारत की प्रतिबद्धता इसकी लोकतांत्रिक मशीनरी के लचीलेपन और अनुकूलन क्षमता को रेखांकित करती है। यह दर्शाती है कि जटिलताओं के बीच भी प्रत्येक नागरिक की आवाज मायने रखती है। इससे पहले विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने सोमवार को सियोल में कोरिया गणराज्य के विदेश मंत्री द्वारा आयोजित ‘एआई/डिजिटल प्रौद्योगिकी और लोकतंत्र’ विषय पर लोकतंत्र-मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की तीसरी समिट में भाग लिया था, जहां उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत करने और शासन को अधिक कुशल, समावेशी, तेज एवं पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी और एआई की अपार संभावनाओं का उल्लेख किया।
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