मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कैलाश खेर ने कहा, भारत ही ऐसा खंड है, जहां मानवता पनपती है। यह संतों की धरती है, महंतों की धरती है, जहां तक सनातन की बात है, तो यह एक जीवन शैली है। महाकुंभ क्यों महत्वपूर्ण है, इसका जिक्र करते हुए कैलाश खेर ने कहा, महाकुंभ इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब हमारे ग्रह अपनी विशेष स्थिति पर होते हैं, सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब जो ऊर्जा संचारित होती है, वह पृथ्वी लोक ही नहीं, पूरे ब्रह्मांड के लिए होती है। न केवल शरीर के लिए, न केवल स्वास्थ्य के लिए, परंतु हमारे मन, बुद्धि और आत्मा को संतुलित करने के लिए भी ऊर्जा बहती है।
उन्होने आगे कहा कि उस ऊर्जा में रहकर यदि स्नान करते हैं, तो चार्ज होते हैं, ऐसा इसलिए, क्योंकि गंगा भी चार्ज है, जमुना जी भी चार्ज है, उसमें डुबकी लगाने मात्र से आप चार्ज हो जाते हैं। यह पाप से मुक्ति का सनातन का सिस्टम है। पाप से मुक्ति का मतलब यह है कि जब तन, मन और बुद्धि आत्मा से शुद्ध हो जाते हैं, तो आप शांत हो जाते हैं। मन शांत और एकाग्र हो जाता है और जब एकाग्र होता है, तब आप पाप नहीं, पुण्य करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि महाकुंभ के समय परमात्मा की ऊर्जा संचारित होती है, आप इकट्ठे होकर स्नान करते हैं, ध्यान करते हैं और अनुष्ठान करते हैं, दान करते हैं। यही हमारी परंपरा है, यही हमारी संस्कृति है। इस बार का कुंभ, महाकुंभ विशेष इसलिए है, क्योंकि यह 144 साल बाद आया है। सबको परमात्मा की अनुकंपा मिली है। 12 कुंभ के बाद महाकुंभ आया है।
कैलाश खेर ने बताया कि वह 18 साल से गीत गा रहे हैं, अब तक दो हजार गीत गा चुके हैं, इसके साथ ही दो हजार कंसर्ट भी कर चुके हैं। इस मौके पर खेर ने महाकुंभ को लेकर एक गीत भी गाया।
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